Homeग्वालियर अंचलप्रशासन के लिए सिरदर्द बना सम्राट मिहिर भोज का प्रतिमा विवाद अब...

प्रशासन के लिए सिरदर्द बना सम्राट मिहिर भोज का प्रतिमा विवाद अब जांच दल तय करेगा वे गुर्जर थे या क्षत्रिय

 

ग्वालियर / नगर निगम द्वारा कम्पू क्षेत्र के अंतर्गत गिरवाई नाके पर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित की गई है। जिसका पिछले दिनों वर्चुअल अनावरण हुआ था। इस प्रतिमा को लेकर दो समाज के व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर प्रसारित और फारवर्ड की जा रहीं पोस्ट से जातिगत सदभाव बिगड़ने की संभावना व्यक्त की गई है। इस प्रकरण की विस्तृत जांच के लिये कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने चार सदस्यीय जाँच दल गठित किया है। पुलिस अधीक्षक से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर जिला दण्डाधिकारी ने यह दल गठित किया है।
जाँच दल में एसडीएम लश्कर श्री अनिल बनवारिया, सीएसपी लश्कर श्री आत्माराम शर्मा, जीवाजी विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्राध्यापक श्री एस के द्विवेदी और केआरजी कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय स्वर्णकार को इस समिति में शामिल किया गया है।
जाँच दल इस विषय पर ऐतिहासिक तथ्यों की प्रमाणित साक्ष्य के साथ विधिवत विस्तृत जांच कर जाँच प्रतिवेदन कलेकटर को प्रस्तुत करेगा।
क्या है मामला
दरअसल बीती 8 सितंबर को ग्वालियर नगर निगम द्वारा शिवपुरी लिंक रोड पर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित की गई. इस प्रतिमा का अनावरण ग्वालियर से सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने किया. इस प्रतिमा की शिला पट्टिका पर गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा हुआ है. जिस पर क्षत्रिय समाज ने आपत्ति दर्ज कराई है. क्षत्रिय समाज के लोगों का दावा है कि राजा मिहिर भोज गुर्जर नहीं थे. साथ ही उन्होंने कहा कि महापुरुषों की प्रतिमाओं के अनावरण के समय उनकी जाति का उल्लेख करना भी ठीक नहीं है.

क्षत्रिय समाज ने प्रतिमा की शिला पट्टिका से गुर्जर शब्द हटाने की मांग करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था. क्षत्रिय समाज के लोगों का कहना है कि अगर शिला पट्टिका से गुर्जर शब्द को नहीं हटाया गया तो क्षत्रिय समुदाय के लोग पूरे देश में आंदोलन करेंगे.

वहीं क्षत्रिय समाज की आपत्ति पर गुर्जर समुदाय ने भी नाराजगी जाहिर की है. गुर्जर समाज के लोगों का कहना है कि इतिहास में कई ऐसे शिलालेख मिले हैं, जिनमें मिहिर भोज को गुर्जर सम्राट बताया गया है. गुर्जर समाज लंबे समय से ग्वालियर में राजा मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित करने की मांग कर रहा था. जिसे जिला प्रशासन द्वारा अब स्वीकार किया गया है. विवाद पर समाज के लोगों ने कहा कि क्षत्रिय समाज के लोगों से उन्हें कोई विद्वेष नहीं है, वह भी उनके भाई हैं और जल्द ही वह क्षत्रिय समाज के लोगों से मिलकर सम्राट मिहिर भोज के गुर्जर होने के प्रमाण सौंपेंगे.

क्या कहते हैं इतिहासकार?
इस पूरे विवाद पर इतिहासकार लाल बहादुर सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि सम्राट मिहिर भोज के बारे में जो शिलालेख मिलते हैं, उनमें उन्हें प्रतिहार राजवंश का राजा बताया गया है. वह ग्वालियर के भी सम्राट रहे हैं. राजा मिहिर भोज के शासनकाल में ही ग्वालियर का चतुर्भुज और तेली मंदिर भी उनके ही शासनकाल में बनाया गया था. इतिहासकार बताते हैं कि राजा मिहिर भोज के प्रतिहार होने का जो शिलालेख है, वो आज भी ग्वालियर के मृगनयनी म्यूजियम में रखा हुआ है.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments