गाजियाबाद। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट काक का निधन हो गया है। काक उनका एक पहचानने योग्य सिग्नेचर नाम था। उनका असली नाम हरीश चंद्र शुक्ला था। काक के कार्टून और चित्रों ने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को बहुत सटीकता से चित्रित किया। उनका निधन एक बड़ी क्षति है और उनके प्रशंसकों के लिए यह बहुत दुखद समाचार है। काक का अंतिम संस्कार गाजियाबाद में किया जाएगा, जहां उनके परिवार और करीबी लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
अपने समय के चर्चित कार्टूनिस्ट काक से आज की पीढ़ी शायद ज्यादा परिचित ना हो, पर 1983 से 1990 के थोड़ा आगे तक का एक ऐसा भी दौर था, जब ज़्यादातर पाठक अखबार हाथ में आते ही काक का कार्टून पहले देखते थे, हेडलाइन बाद में पढ़ते थे। उनकी सेंस ऑफ ह्यूमर और कटाक्ष में गजब की ताजगी थी। उनके कार्टूनों मे रोजाना की देशव्यापी राजनीतिक हलचलों का पोस्टमार्टम दिखता था।
उनकीतीखी ‘काक’ दृष्टि वाले करारे कार्टून शुरुआत मे जनसत्ता में छपते थे। बाद में काक ने नवभारत टाइम्स ज्वाइन कर लिया। हिंदी पत्रकारिता के दिग्गज प्रभाष जोशी से लेकर राजेन्द्र माथुर और सुरेन्द्र प्रताप सिंह तक उनके कायल थे।