‘हिंदवी स्वराज्य की अवधारणा और वर्तमान प्रासंगिकता’ विषय व्याख्यान और लेखक गिरीश जोशी की पुस्तक ‘हिंदवी स्वराज्य’ का विमोचन समारोह
भोपाल/आज जब पूरी दुनिया की नजरें गाजा पट्टी में जारी इजराइल फिलिस्तीन युद्व पर केंद्रित हैं उस समय माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नवीन परिसर में आयोजित विशेष व्याख्यान एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम एक बड़ी बात सामने आई है। इसमें बताया गया कि इजराइल के राष्ट्रपति ने कहा था कि इजराइल ने अपनी सैन्य व्यवस्था, युद्ध नीति और गुप्तचर नीति शिवाजी महाराज के राज्य से स्वीकार की है। यह विचार मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने ‘हिंदवी स्वराज्य की अवधारणा और वर्तमान प्रासंगिकता’ विषय और लेखक गिरीश जोशी की पुस्तक ‘हिंदवी स्वराज्य’ के विमोचन अवसर पर व्यक्त किए। वहीं, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हमारे यहां स्वतंत्रता आंदोलन को इस तरह प्रस्तुत किया गया कि इसमें कुछ ही लोग और प्रांत शामिल रहे। अमृत महोत्सव के कारण से देश के सामने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का विराट स्वरूप सामने आया। इस आंदोलन में भारत के गांव–गांव, नगर–नगर से लोगों ने हिस्सा लिया और बलिदान दिया।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नवीन परिसर में आयोजित विशेष व्याख्यान एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. विकास दवे ने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य का 350वाँ वर्ष है। जिसने मृत्य पर विजय प्राप्त की है, ऐसा हमारा भारत है। हमारे देश के जन्म की कोई तिथि नहीं है, यह मृत्युंजय है। उन्होंने कहा कि राजा कैसा होना चाहिए, इसकी श्रेष्ठ परिभाषा हमें हिंदवी स्वराज्य के ग्रंथों में मिलती है। शिवाजी महाराज ने स्वभाषा के महत्व को बढ़ाया। अपनी भाषा का संरक्षण और समृद्ध करना भी स्वराज्य है। डॉ. दवे ने वीर सावरकर का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने भी स्वभाषा के संवर्धन का काम किया। उन्होंने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के पीछे के कारणों का उल्लेख किया। मुगल आक्रांताओं के कारण जिस प्रकार के अराजक वातावरण बन गया था, उसने ही स्वराज्य की कल्पना को जगाया। जिजाऊ मां साहेब और दादा कोंडदेव के सान्निध्य में, एक अनुशासित वातावरण में शिवाजी महाराज का पालन किया जा रहा था। हिंदवी स्वराज्य शिवाजी महाराज के जीवन के क्षण–क्षण के साथ स्थापित हो रहा था। उन्होंने अंग्रेजों के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसमें उन्होंने शिवाजी मुद्रा को आधुनिक तरीके से तैयार करने का प्रस्ताव दिया। उनका मत था कि स्वराज्य की मुद्रा स्वराज्य में ही तैयार होनी चाहिए। इसी प्रकार तोपें और नौसेना के लिए जहाज निर्माण का कार्य भी शिवाजी महाराज ने स्वराज्य में ही प्रारंभ कराया। न्याय व्यवस्था से लेकर प्रशासनिक व्यवस्था को शिवाजी महाराज ने स्व के आधार पर विकसित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया क्योंकि यह याद रखना आवश्यक है कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हमने क्या कीमत चुकाई है। हमने पश्चिम बंगाल का नाम भी बंगाल इसलिए नहीं किया है ताकि हमें याद रहे कि बंगाल का एक हिस्सा उस ओर भी है। उन्होंने कहा कि रावण के पुतले को जलाना एक प्रकार से संचार की व्यवस्था है ताकि पीढ़ी दर पीढ़ी सबको असत्य पर सत्य की विजय की कहानी याद रहे। उन्होंने कहा कि हिंदवी स्वराज्य को स्मरण करने का उद्देश्य है कि यह एक राजा के राज्य की स्थापना का प्रसंग मात्र नहीं है बल्कि यह भारत के विचार को समझने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ऐसे परिवार से संबंध रखते थे, जहां वे सुविधापूर्वक जीवन जी सकते थे लेकिन उन्होंने स्वराज्य की स्थापना के लिए संघर्ष का रास्ता चुना। कुलपति प्रो. सुरेश ने बताया कि एक बालक का विकास किस तरह किया जाना चाहिए, यह जीजामाता से सीखना चाहिए।
इस अवसर पर प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश सेठी ने कहा कि आज आमंत्रण पत्र पर भारत लिख जाता है तो लोग उद्वेलित हो जाते हैं लेकिन हम देखते हैं हमारे ही आसपास के कई देशों ने अपने मूल नाम को स्वीकार कर लिया। शिवाजी महाराज हमें स्व से जोड़ने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि हम भ्रम में न चले जाएं इसलिए आज शिवाजी महाराज और उनके द्वारा स्थापित स्वराज्य को याद करना आवश्यक है। आज इजराइल के नागरिक जिस प्रकार संकट के समय में अपने देश के साथ खड़े हैं, उससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी की थी कि जब भारत सामर्थ्यशाली बनेगा तब विश्व कल्याण की कल्पना साकार होगी। इससे पूर्व लेखक गिरीश जोशी ने हिंदवी स्वराज्य के संचार प्रबंधन पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया। अन्त में आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने और कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक लोकेंद्र सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रबंधन विभाग सहित अन्य विभागों के विद्यार्थी, शहर के गणमान्य नागरिक और विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं अधिकारी–कर्मचारी उपस्थित रहे।
विद्यार्थियों के प्रायोगिक समाचारपत्रों का विमोचन :
इस अवसर पर मीडिया प्रबंधन विभाग के विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए दो समाचार पत्रों– आर्यवृत क्रोनिकल और उदंत न्यूज का विमोचन भी किया गया।