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बढ़ती धडकनों के बीच ढलती शाम के साथ शुरू हो जाएंगे एग्जिट पोल के नतीजे,अभी तक लगी थी रोक

मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, छत्‍तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से चार राज्‍यों में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और ईवीएम में कैद जनता का फैसला स्‍ट्रांग रुमों में सुरक्षित रखा हुआ है। पांचवें राज्‍य तेलंगाना में मतदान की प्रक्रिया चल रही है, जो शाम 5 बजे तक चलेगी। चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ चुनाव परिणामों को लेकर किसी भी तरह के सर्वे पर रोक लगा रखा है

ऐसे में आज शाम को जैसे ही तेलंगाना में मतदान खत्‍म होगा, एग्जिट पोल के नतीजे आने लगेंगे। इसके साथ ही पांचों राज्‍यों में नई सरकार की संभावित तस्‍वीरे साफ हो जाएगी। हालांकि जनता ने वास्‍तव में किसे चुना है इसका फैसला तो 3 दिसंबर को मगतणना के बाद ही सामने आ पाएगा। बात दें कि पांचों राज्‍यों में 3 दिसंबर को एक साथ मतगणना होगी।

जैसे-जैसे आज 30 नवंबर का दिन बीतेगा और शाम करीब आती जाएगी, आम जनता के साथ नेताओं के मन में भी काफी उथल-पुथल मच जाएगी। जी हां, पांच राज्यों के चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे लेकिन उससे पहले आज एग्जिट पोल में तस्वीर साफ हो जाएगी। एमपी में क्या बीजेपी वापसी कर रही है, राजस्थान में कांग्रेस सत्ता बचा पाएगी… ऐसे न जाने कितने सवाल सियासी फिजा में तैरने लगेंगे। ऐसे में कहा जा सकता है कि एग्जिट पोल जनता का मूड बताते हैं। वोटिंग पैटर्न दिखाते हैं और नेताओं की धड़कनें भी बढ़ाते हैं। जब तक अंतिम परिणाम नहीं आ जाते, एग्जिट पोल की ही चर्चा होती रहती है। यह हर चुनाव के बाद होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि एग्जिट पोल किया कैसे जाता है। इसकी शुरुआत कब हुई थी और क्या यह 100 प्रतिशत विश्वसनीय होता है? क्या एग्जिट पोल हमेशा सही होते रहे हैं? जब तक एग्जिट पोल आता है, इन सवालों का जवाब ढूंढ लेते हैं। पहले जान लेते हैं कि एग्जिट पोल किसे कहते हैं?

एग्जिट पोल क्या होते हैं?
दरअसल, एग्जिट पोल करने वालों की एक टीम होती है जो वोटरों से सवाल करती है जब वे मतदान केंद्र से बाहर निकल रहे होते हैं। मतदान के दिन इकट्ठा की गई इसी जानकारी के आधार चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी की जाती है। भारत में कई संगठन एग्जिट पोल करते हैं।

कितना सही होता है अनुमान
2004 का लोकसभा चुनाव हो या 2009 का आम चुनाव- इसमें लगभग सभी एजेंसियों के दावे फेल हो गए थे। 2004 में दावा किया गया था कि एनडीए की वापसी हो रही है लेकिन कांग्रेस सत्ता में आई। 2009 में भी ऐसा ही हुआ। हालांकि 2014 में मोदी लहर में एग्जिट पोल काफी हद तक सटीक अनुमान लगा पाए। 2014 के चुनाव में सबसे सटीक दावा ‘चाणक्य’ एजेंसी का रहा था। उसका अनुमान था कि एनडीए को बंपर 340 सीटें मिल सकती हैं और यूपीए 70 पर सिमट जाएगी। नतीजे लगभग यही रहे। 2019 के आम चुनाव में सभी एग्जिट पोल्स 300 के आसपास सीटें दे रहे थे लेकिन इतनी सीटें अकेले बीजेपी ले आई।बंगाल चुनाव में फ्लॉप रहे एग्जिट पोल
2021 का पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव आपको याद होगा। भाजपा ने इतना जबर्दस्त चुनाव प्रचार किया था कि लग रहा था वहां मोदी लहर पैदा हो गई है। एग्जिट पोल के नतीजों ने भी यही संकेत दिए। ज्यादातर एजेंसियों-चैनलों ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बताया था लेकिन नतीजों ने बता दिया कि बीजेपी का ग्राफ जरूर बढ़ा लेकिन भगवा पार्टी ममता बनर्जी का किला नहीं हिला पाई।हालांकि 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव रहे हों या यूपी का 2012 का चुनाव एग्जिट पोल ने सटीक अनुमान लगाया। इस लिहाज से देखें तो एग्जिट पोल को पक्का तो नहीं कह सकते लेकिन एक संकेत या संदेश जरूर दे जाते हैं।

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