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बदल गया कश्मीर पिछले 5 लोकसभा चुनावों की तुलना में सबसे ज्यादा वोटिंग

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहां हो रहे पहले चुनाव में लोगों में जबर्दस्त उत्साह दिखाई दिया है. केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में राज्य से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था. इससे साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था. इसके साथ ही राज्य की विधानसभा को भी स्थगित कर दिया गया था. केंद्र शासित प्रदेश में हुए इन सभी बदलावों के बाद यहां पहली बार चुनाव हुआ ।

तीन दशक से अधिक समय से आतंकवाद से प्रभावित जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में 2024 में पहली बार जबर्दस्त वोटिंग हो रही है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार दोपहर तीन बजे तक घाटी के श्रीनगर क्षेत्र में 29.93 फीसदी वोटिंग हो चुकी थी. राज्य में वोटिंग शाम पांच बजे तक होगी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वोटिंग का प्रतिशत और बढ़ेगा.

टूट गया रिकॉर्ड
इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां 14. 1 फीसदी, 2014 में 25.9 फीसदी, 2009 में 25.06 फीसदी, 2004 में 18.06 फीसदी और 1999 में 11.9 फीसदी वोटिंग हुई थी. उससे पहले जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित इलाकों में कई बार चुनाव स्थगित करने पड़े थे.

इस बार श्रीनगर सीट पर 24 उम्मीदवार हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 17.48 लाख मतदाता हैं. लद्दाख के अलग हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की पांच सीटें हैं. ये पांच सीटें हैं-बारामुला, श्रीनगर, अनंतनाग-राजौरी, उधमपुर और जम्मू. सात मई को अनंतनाग-राजौरी में चुनाव था लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया. अब यहां 25 मई को चुनाव होगा.

गौरतलब है कि कश्मीर में आतंकवाद के दौर की शुरुआत के बाद यानी करीब बीते 35 सालों में पहली बार किसी संगठन ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा नहीं की है.

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