केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में सोमवार को बुलाया किसानों का भारत बंद शुरू हो गया है। आश्चर्यजनक बात यह है कि किसानों की आड़ में एकबार फिर कम्युनिस्ट, कांग्रेस जैसे तमाम राजनीतिक दलों के नेता बंद के बहाने हुड़दंग व सरकार पर आरोप प्रत्यारोप लगाते नजर आ रहे हैं।
कृषि मंत्री ने की बातचीत की अपील
किसानों ने 27 सितंबर के भारत बंद के मद्देनजर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर कहा कि मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि वे आंदोलन छोड़कर वार्ता का रास्ता अपनाएं। तोमर ने रविवार को कहा कि सरकार किसानों की ओर से बताई गई आपत्ति पर विचार करने के लिए तैयार है। इससे पहले भी कई बार बात हो चुकी है। इसके बाद भी उन्हें लगता है कि कोई बात बची है तो सरकार उस पर जरूर बात करेगी।
मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां फिलहाल बंद बेअसर नजर आ रहा । हालांकि ग्वालियर सहित कुछ अन्य स्थानों से बंद समर्थकों के जत्थे दिखाई दिए हैं । दिल्ली व उसके आसपास किसान अलग-अलग हाइवे पर चक्का जाम करेंगे और साथ ही रेलवे लाइनों को भी अवरुद्ध करेंगे। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर वाहनों के आने-जाने पर रोक लगा दी है तो वहीं किसानों ने पंजाब-हरियाणा के बीच शंभु बॉर्डर को जाम कर दिया है। किसान सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक चक्का जाम रखेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसानों के भारत बंद को कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियां, आरजेडी, बीएसपी और एसपी सहित देश की लगभग हर विपक्षी पार्टी ने समर्थन देने का ऐलान पहले ही कर दिया है।
ये विपक्षी पार्टियां दे रहीं भारत बंद को समर्थन
कांग्रेस और आरजेडी के अलावा आम आदमी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और लेफ्ट पार्टियों ने भी भारत बंद का साथ देने का ऐलान किया है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘भाजपा सरकार के काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों के द्वारा कल बुलाए गए भारत बंद का समाजवादी पार्टी पूर्ण समर्थन करती है। किसान विरोधी काले कानूनों को वापस ले सरकार।’
बैंक यूनियन भी आए साथ
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने भी भारत बंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। एआईबीओसी ने सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों पर उसके के साथ फिर से बातचीत शुरू करने और तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया।