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बुद्ध पूर्णिमा :आज श्री हरि ने धारण किया था कच्छप अवतार,दान और प्यासों को पानी पिलाने का विशेष महत्व

आज वैशाख माह की पूर्णिमा है. इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. बुद्ध पूर्णिमा ईश्वर की कृपा पाने का खास दिन है. ज्योतिष में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं कि इस दिन चंद्रमा से जुड़ी बड़ी से बड़ी समस्याएं दूर की जा सकती हैं. भारतीय पंचांग में वैशाख साल का दूसरा महीना होता है. बुद्ध पूर्णिमा की तिथि पूजा पाठ के लिए विशेष कल्याणकारी मानी गई है. इसलिए इस दिन ईश्वर के ध्यान और उपासना से पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए आपको बुद्ध पूर्णिमा का महत्व पूजन विधि और शुभ मुहूर्त बताते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व 
वैशाखी पूर्णिमा को श्री हरि ने कच्छप अवतार लिया था. इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और निर्वाण भी प्राप्त हुआ था. इस दिन आराधना और दान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. चंद्रमा मजबूत होता है और जीवन की तमाम समस्याएं दूर होती हैं. इस दिन भगवान विष्णु के अलावा शिवजी की पूजा करने से शरीर के तमाम रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है. इस दिन शिवालयों में भगवान शिव को जलमग्न किया जाता है. बुद्ध पूर्णिमा पर दान और स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है.

बुद्ध पूर्णिमा की पूजन विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्‍णु की पूजा करना बहुत लाभकारी माना गया है. भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं. उन्हें फल, फूल, मिठाई अर्पित करें. उनके प्रिय भोग लगाएं. फिर विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें.

बुद्ध पूर्णिमा पर दान-स्नान की विधि 
बुद्ध पूर्णिमा पर सवेरे-सवेरे स्नान के पहले संकल्प लें. जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें. फिर स्नान करना आरम्भ करें, स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें. साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें. फिर मंत्र जाप करें. मंत्र जाप के बाद सफेद वस्तुओं और जल का दान करें. चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं. इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करें.

 

बुद्ध पूर्णिमा पर क्या दान करें?
बुद्ध पूर्णिमा पर विष्णु पूजन के बाद पानी से भरा घड़ा और पकवान आदि का दान करना चाहिए. कहते हैं कि इस दिन मिट्टी के घड़े का दान गौदान के समान होता है. इस दिन पंखा, जल से भरा मिट्टी का घड़ा, चप्पल, छतरी, अनाज या फल का दान करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं. आप पीले वस्त्रों का दान, मौसमी फलों का दान और तपती गर्मी में प्यासों को पानी पिलाने का काम भी कर सकते हैं.

 

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