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बेटियों को पढ़ाने की खातिर मजदूर मिया खान की बेमिसाल कुर्बानी, रोज 12 KM दूर स्कूल लेकर जाते हैं

रूढ़िवादी समाज में लड़कियों के प्रति नजरिया बदलता हुआ दिखे तो आप क्या कहेंगे. खास कर उस मुल्क में जहां औरतों के अधिकार को लेकर विदेशी एजेंसियां चिंता जताती हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं अफगानिस्तान की. जहां के एक दिहाड़ी मजदूर की सोशल मीडिया पर तारीफ हो रही है. लोग उन्हें पिता के तौर पर रोल मॉडल के खिताब से नवाज रहे हैं. आखिर उन्होंने ऐसा क्या किया कि उनको सम्मान भरी नजरों से देखा जाने लगा?

बच्चियों को बाइक पर 12 किलोमीटर तक लेकर जाते हैं स्कूल

शाराना इलाके के रहनेवाले दिहाड़ी मजदूर मिया खान रोजाना अपनी बच्चियों को स्कूल ले जाते हैं. पास में स्कूल ना होने की वजह से उन्हें 12 किलोमीटर तक का सफर बाइक से तय करना पड़ता है. स्कूल पहुंचने के बाद खान स्कूल के बाहर बच्चियों के क्लास में जाने का इंतजार करते हैं. थोड़ा देर इंतजार करने के बाद फिर वापस घर लौट आते हैं. मिया खान की तीन बच्चियां नूरानियां स्कूल की छात्रा हैं. स्कूल का संचालन स्वीडिश कमेटी फॉर अफगानिस्तान करती है.”

पूछने पर मिया खान कहते हैं,” मैं अशिक्षित हूं और रोजाना मजदूरी कर गुजर बसर करता हूं. बच्ची की शिक्षा मेरे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके इलाके में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है.”

फेसबुक पर खान और उनकी बच्चियों की कहानी वायरल होने के बाद हजारों लोगों ने लाइक किया है. वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी प्रतिक्रिया में कुछ भावुक नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे पिता को पाकर धन्य, वो सही मायने में हीरो हैं. मेरी तरफ से “बहुत ज्यादा सम्मान!”

छठी क्लास में पढ़नेवाली खान की एक बच्ची रोजी का कहना है कि हर दिन उसके पिता या भाई बाइक पर स्कूल लाते हैं और फिर छुट्टी होने पर स्कूल से घर पहुंचा देते हैं.

एक ऐसे मुल्क से जहां मलाला जैसी बच्ची को गोली मार दी जाती है. इसलिए कि उसने शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं को जागरुक करने की कोशिश की थी. एक पिता की कहानी सचमुच में दिल को सुकून पहुंचानेवाली है.

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