मध्य प्रदेश सरकार के गृह विभाग में सचिव ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने उनकी बेटी श्रुति की एक पोस्ट पर देश के युवाओं को बड़ा संदेश दिया है। दरअसल श्रुति भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रही थी। इंटरव्यू में पहुंचने के बावजूद श्रुति का चयनित सूची में नाम नहीं आ सका। श्रुति ने अपने इंटरव्यू के दौरान यूपीएससी धौलपुर हाउस पर खड़े होकर कुछ फोटोग्राफ लिए थे। चयन नहीं होने पर भी श्रुति ने अपने फोटोग्राफ को शेयर कर लिखा कि चयन नहीं हुआ। फिर भी तस्वीर पोस्ट कर रही हूं। क्योंकि मैं अपनी असफलता छुपाना नहीं चाहती। मैं स्वीकार करना चाहती हूं। इसे मेरा हिस्सा बनाओ और मेरे साथ आगे बढ़ो। इस पर आईएएस पिता ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने बेटी को पत्र से जवाब दिया है।
मेरी बेटी श्रुति की पोस्ट का जवाब
आईएएस ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नहीं श्रुति! तुम्हारा फेलियर नहीं है। तुमने एक ऊंचा लक्ष्य सामने रखा था और देश भर के सबसे प्रतिभाशाली और मेहनती अनारक्षित वर्ग के उन 1000 युवाओं में अपना स्थान बनाया जो इस कठिन परीक्षा के अंतिम चरण तक पहुंचे। अंतिम सफलता तो कई ऐसे कारणों पर निर्भर करती है जो हमारे नियंत्रण के बाहर होते हैं। इसे ही भाग्य कहते हैं। तुम्हारा ज्ञान, मेहनत, किसी चयनित प्रत्याशी से कम नहीं
श्रीवास्तव ने आगे लिखा कि तुमने पहले भी सिविल सर्विस के Main Exams दिए हैं और जिस पेपर में हमेशा तुम्हारे 125 के लगभग नंबर आते रहे हैं और इस बार उससे भी अच्छा पेपर जाने के बाद भी अनुमानित 135 के स्थान पर मात्र 103 नंबर मिलना केवल भाग्य ही तो है, जिस कारण तुम किनारे तक पहुंचकर भी चयनित नहीं हो पाई। तुम्हारी मेहनत और व्यक्तित्व का मूल्यांकन तो इंटरव्यू बोर्ड ने किया है, जिसने तुम्हें 64 प्रतिशत अंक दिए हैं, जबकि आईएएस में भी 49-50 प्रतिशत पर अंतिम चयन हो जाता है। तुम्हारा ज्ञान, मेहनत और व्यक्तित्व किसी भी चयनित प्रत्याशी से कम नहीं है।
तुम्हारा जज्बा तुम्हें समाज में स्थान दिलाएगा
आईएएस श्रीवातस्व ने आगे लिखा कि तुम्हारी विशेषता इस बात में है कि 6 साल तक रात-दिन की मेहनत करके जो चाहा था और जिसके मिलने की पूर्ण संभावना थी वह एक झटके में समाप्त हो गया। इसके बाद भी रिजल्ट घोषित होने के दो दिन बाद जिस जज्बे से तुमने पारिवारिक विवाह समारोह में भाग लिया, डांस किया और किसी को महसूस भी नहीं होने दिया कि दो दिन पहले कितना बड़ा आघात लगा है, वह अद्भुत है। अभी भी, तुमने अपना करियर स्वयं चुन लिया है- ‘’महिलाओं और बच्चों के सशक्तीकरण को लेकर समाज के बीच काम करना’’ और इसके लिए जिस उत्साह से काम शुरू किया है वह अविश्वसनीय सा लगता है। यही जज्बा तुम्हें समाज में स्थान दिलाएगा और यह काम तुम्हें संतुष्टि देगा।
सिविल सेवा बहुत कुछ है, लेकिन सब कुछ नहीं
पिता ने बेटी के लिए लिखा- सिविल सेवा बहुत कुछ है। वह आर्थिक सुनिश्चितता देती है, समाज में पहचान और सम्मान दिलाती है। लेकिन, वह सब कुछ नहीं है। भारत के कैबिनेट सेक्रेटरी को कितने लोग जानते हैं? लेकिन बाबा आम्टे और विनोबा जी जैसे लोग अमर हो जाते हैं। तुमने इस तैयारी के दौरान जो ज्ञान अर्जित किया, मेहनत करने के संस्कार पैदा किए और इनके परिणामस्वरूप जो व्यक्तित्व विकसित किया उसमें समाज के निचले तबके में जीने वाली महिलाओं और बच्चों के प्रति करुणा का मेल हो जाने से तुम्हारा व्यक्तित्व और विराट होने वाला है। हम सब इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। शुभकामनाएं और आशीर्वाद।