ईश्वर की कृपा है कमलनाथ जी, इस संकट में आप मुख्यमंत्री नहीं है
भोपाल। यह जानकर दुख होता है कि कमलनाथ जी जैसे वरिष्ठ नेता सच्चाई जानते हुए भी झूठ बोलने और फैलाने का काम कर रहे हैं, झूठ की राजनीति कर रहे हैं। कमलनाथ जी जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब प्रदेश के मुखिया होने की जिम्मेदारी निभायी नहीं और जब प्रदेश की जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने इनकी नकारा सरकार से किनारा कर लिया, तो एक संवेदनशील और काम करने वाली सरकार पर निरर्थक आरोप लगा रहे हैं। कमलनाथ जी, अगर जरा भी शर्म बाकी है, तो ये झूठ प्रपंच की राजनीति छोड़ो और कोरोना महामारी से प्रदेश को बचाने के लिए काम करो। शायद इसी से आपके उन पापों का प्रायश्चित हो जाए, जो आपने मुख्यमंत्री रहते किए हैं। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आरोपों पर रोष प्रकट करते हुए कही।
ये बताइये, आपने एक महीने तक क्या किया?
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि कमलनाथ जी के अनुसार राहुल गांधी ने 12 फरवरी को कोरोना के बारे में चेता दिया था। उसके बाद कमलनाथ 23 मार्च तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। कोरोना महामारी से निपटने के लिए एक महीने से ज्यादा के इस समय में उन्होंने कौन सा एक काम किया है, जनता यह जानना चाहती है। आपके मुख्यमंत्री रहते डेढ़ महीने तक कोरोना प्रदेश में पैर पसारता रहा और आप आराम से सोते रहे। एक पीपीई किट नहीं थी। एक वेंटिलेटर नहीं खरीदा, एक मोहल्ले में बैरीकेडिंग नहीं कराई, किसी को क्वारेंटाइन नहीं किया। श्री शर्मा ने कहा कि श्री शिवराज जी जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब प्रदेश की एक लैब में कोरोना के 60 टेस्ट होते थे। आज प्रदेश में 7 लैब हैं, जिनमें रोजाना 1200 से अधिक टेस्ट हो रहे हैं। इसके अलावा बाहर के लैब से भी टेस्ट कराए जा रहे हैं। टेस्टिंग किट, पीपीई किट नगण्य थे, आज प्रदेश में हजारों किट तैयार रखे हैं।
इंदौर के हालात के लिए माफी मांगें कमलनाथ
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि इंदौर शहर के आज जो हालात है,वह कमलनाथ सरकार की उपेक्षा का ही परिणाम है, जिसके लिए उन्हें इंदौर और प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते कमलनाथ सिर्फ आइफा अवार्ड के आयोजन की चिंता करते रहे, इसमें आने वाले कलाकारों के बारे में सोचते रहे, कोरोना के बारे में कुछ नहीं सोचा। श्री शर्मा ने कहा कि इंदौर शहर की स्थिति कोरोना फैलाने वालों के प्रति तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की सहानुभूति का ही परिणाम है। इन्हें शहर के लोगों की चिंता नहीं थी, बल्कि उन जमातियों को बचाने, छुपाने की फिक्र थी, जिन्होंने पूरे शहर और प्रदेश को कोरोना की आग में झोंक दिया। श्री शर्मा ने कहा कि भला हो उन विधायकों का जिन्होंने कमलनाथ को धक्का देकर निकाल दिया, वरना इंदौर सहित पूरे प्रदेश का क्या होता? यह सोचकर ही रूह कांप जाती है।
आपके कुशासन ने त्रस्त विधायकों ने आपको धक्का देकर हटाया है
श्री शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बार- बार यह कह रहे हैं कि जब मैंने सत्ता सौंपी थी, तब प्रदेश ऐसा था, प्रदेश वैसा था। उन्होंने कहा कि कमलनाथ यह बात स्पष्ट रूप से समझ लें कि आपने हमें सरकार खैरात में नहीं दी हैं, बल्कि आपकी सरकार की खींचतान और कुशासन से त्रस्त आपके विधायकों ने आपको धक्का देकर बाहर निकाला है । श्री शर्मा ने कहा कि आप तो बहुमत खो देने के बाद भी मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस कदर चिपके हुए थे कि राज्यपाल के आदेशों की भी अव्हेलना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह मध्य प्रदेश का दुर्भाग्य था कि एक ऐसा नेता डेढ़ साल तक मुख्यमंत्री रहा, जिसने जनकल्याण की सारी योजनाएं बंद कर दीं, भ्रष्टाचार के सारे रास्ते खोले दिये, घर-घर नशा पहुंचाने की योजना बनाई। गरीब को इलाज नहीं मिल सके, इसके पुख्ता प्रबंध किए। श्री शर्मा ने कहा कि भला हो उन विधायकों का जिन्होंने आपके कुशासन को ठुकराकर आपको बाहर का रास्ता दिखा दिया। वर्ना यदि आप इस कोरोना के संकट में मुख्यमंत्री होते तो प्रदेश भर में कोहराम मच जाता।