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भाजपा की प्रदेश बैठक :शिवराज की सीख टिकट मिले या नहीं कार्यकर्ताओं से लेकर मंत्रियों तक काम में जुट जाएं

दिन भर दिया वरिष्ठों ने मार्गदर्शन बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मिलने बुलाया अपने निवास

भोपाल /दिन भर चली भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने देर शाम और कल शनिवार को अपने निवास पर 2 घंटे के लिए बैठक में उपस्थित भाजपा जनों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया  । माना जा रहा है बैठक में परंपरागत ढंग से वरिष्ठ पार्टी नेताओं के मार्गदर्शन के अलावा  तमाम प्रतिनिधियों को बोलने के लिए कोई कॉलम ना होने के कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने निवास पर आमंत्रित किया है। हालांकि पार्टी इसे सामान्य मेल मिलाप बता रही है।

जैसी की परंपरा है उसी अनुसार भारतीय जनता पार्टी की आज आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक तमाम वरिष्ठ नेताओं की भाषण के साथ ही संपन्न हो गई।
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के प्रथम सत्र में वरिष्ठ नेताओं ने उपस्थित प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी  के कार्यकाल के 9 वर्ष पूर्ण होने पर चलाए जाने वाले विशेष संपर्क अभियान की जानकारी वीडियो एवं प्रेजेंटेशन के माध्यम से दी गई। साथ पार्टी के आगामी कार्यक्रमों के बारे में भी जानकारी दी गई। इस सत्र में राष्ट्रीय महामंत्री  तरुण चुघ, केंद्रीय मंत्री  नरेंद्रसिंह तोमर, राष्ट्रीय महासचिव  कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश संगठन महामंत्री  हितानंद  एवं अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  लालसिंह आर्य ने संबोधित किया। इसके पूर्व पिछली कार्यसमिति की बैठक की कार्रवाई का अनुमोदन प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा द्वारा किया गया एवं दिवंगत नेताओं, पार्टीजनों को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
प्रदेश कार्यसमिति बैठक में वीडियो, प्रेजेंटेशन द्वारा जनसंपर्क अभियान की प्रमुख बातें समझाई गईं
मुख्यमंत्री ने दी सीख टिकट मिले या नहीं कार्यकर्ताओं से लेकर मंत्रियों तक काम में जुट जाएं
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने  इस मौके पर  आह्वान किया कि इस चुनाव में कार्यकर्ताओं से लेकर मंत्रियों तक को पूरी तरह से एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होने सभी को संकल्प दिलवाया कि सभी लोग चुनाव के लिए जुट जाएं, भले ही किसी को टिकट मिले या नहीं। चुनाव में महाविजय प्राप्त करने के लिए सभी को मिलकर कोशिश करनी होगी तभी वो ऐतिहासिक जीत प्राप्त कर पाएंगे। उन्होने कहा कि हम सभी एक परिवार के सदस्य हैं और ये संकल्प लें कि जब अगली बार मिलेंगे तो चुनाव में जीत प्राप्त करने के बाद मिलेंगे।

 

कैलाश विजयवर्गीय ने इस तरह सुनाई खरी-खरी

बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं की दुखती रग पर हाथ रख दिया। मंच पर जब उन्होंने अपना संबोधन शुरु किया तो उनके भाषण के दौरान पूरे हॉल में तालियां गूंजती रहीं। कैलाश विजयवर्गीय ने राष्ट्रीय नेताओं, मुख्यमंत्री, मंत्री,सांसद,विधायक और कार्यकर्ताओं के सामने वो तमाम मुददे उठाए जिनसे बीजेपी इन दिनों परहेज बरत रही है। विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं की नाराजगी की असल वजह बताते हुए मंत्रियों और जिला अध्यक्षों को खूब नसीहत दी। विजयवर्गीय ने कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कुछ सुझाव भी दिए।

कैलाश ने इस तरह सुनाई खरी-खरी

कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं के सामने मंत्री और संगठन को खरी-खरी सुना दी।

कार्यकर्ता और नेता अनदेखी से नाराज

विजयवर्गीय बोले कि प्रदेश में बड़े पैमाने नाराजगी है, कार्यकर्ता और नेता नाराज हैं, उनका दर्द कोई नहीं पूछ रहा है। वे अपनी अनदेखी से नाराज हैं। उनकी पूछ परख नहीं हो रही है। उनकी उपेक्षा चुनावी साल में भारी पड़ सकती है।

प्रभारी मंत्री हवा की तरह जाते हैं,तूफान की तरह आते हैं

विजयवर्गीय ने कहा कि प्रभारी मंत्री अपने जिलों हवा की तरह जाते हैं और तूफान की तरह वापस आ जाते हैं। वे कार्यकर्ताओं से नहीं मिलते। जबकि प्रभारी मंत्रियों को हर दौरे में कार्यकर्ताओं के मिलने के लिए समय निश्चित करना चाहिए और हर बार अलग-अलग कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी नाराजगी दूर करनी चाहिए।

जिला अध्यक्षों में ऐसी अकड़ कि कुर्सी से नहीं उठते

विजयवर्गीय ने कहा कि आजकल के जिला अध्यक्षों में बहुत अकड़ है। वरिष्ठ नेताओं से मितना तो दूर उनके पास कोई आ जाए तो कुर्सी से भी नहीं उठते।

नाराजगी से हारे कर्नाटक की 37 सीटें

विजयवर्गीय ने कहा कि कर्नाटक की 37 विधानसभा सीटें हम इसी नाराजगी की वजह से हारे। इन सीटों पर हार-जीत का मार्जिन बहुत कम रहा। प्रदेश में हमें इस नाराजगी को दूर करना पड़ेगा।

हर विधानसा में बनाओ नाराज कार्यकर्ताओं की सूची

विजयवर्गीय ने कहा कि जिला अध्यक्षों को हर विधानसभा में नाराज कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं की सूची बनानी चाहिए। इन नेताओं से जिला अध्यक्षों और प्रभारी मंत्रियों को मिलना चाहिए। एक व्यक्ति यदि दस वोट भी प्रभावित कर सकता है तो चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है।

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