प्रवीण दुबे
लोकसभा चुनाव को लेकर ग्वालियर अंचल की भिंड मुरैना ग्वालियर और गुना संसदीय सीट को लेकर कांग्रेस पशोपेश में नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस दो सूचियां जारी करने के बावजूद अभी तक चारों सीटों पर उम्मीदवार खड़े नहीं कर सकी है। उसका असमंजस इस बात को लेकर बताया जा रहा है कि वो यह तय नहीं कर पा रही कि इन सीटों पर वह अपने बड़े नेताओं की बाजी लगाए या फिर जो नाम सामने हैं उन्हे ही मैदान में उतारा जाए।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के सामने भाजपा से दरकिनार किए गए कुछ बड़े नेताओं को पार्टी से टिकिट दिए जाने का रास्ता भी है लेकिन इसको लेकर पार्टी में दो विचार होने से निर्णय करना कठिन हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अभी तक अपनी दो सूचियां जारी कर चुकी है लेकिन ग्वालियर अंचल की चारों सीटों पर प्र्यत्याशी घोषित नहीं किया गया है।
उधर भाजपा की बात करें तो अपनी पहली सूची में ही उन्होंने मुरैना से शिवमंगल सिंह,भिंड से संध्या राय ग्वालियर से भारत सिंह कुशवाह और गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी घोषित किया है।
इनमें मुरैना , ग्वालियर से चौंकाने वाले नामों के अलावा गुना से पिछले लोकसभा चुनाव में सिंधिया को पटखनी देने वाले नेता का टिकट काटे जाने के बाद नाराजगी का माहौल बन गया है।
सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर और गुना से भाजपा नेतृत्व द्वारा दरकिनार किए नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं। इनमें एक बड़ा नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के भांजे जो अनूप मिश्रा का भी बताया जा रहा है।
श्री मिश्रा एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में खुद यह कह चुके हैं कि कांग्रेस उनसे बात करेगी तो वे विचार करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस उन्हे मुरैना या ग्वालियर सीट से मैदान में उतारने का मन बना रही है। इतना ही नहीं चूंकि अनूप मिश्रा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के भांजे हैं अतः उनकी नाराजी और कांग्रेस ज्वाइन करने को लेकर राष्ट्रीय मंचों पर भी उदाहरण के रूप में मोदी के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है। हालांकि पूर्व में भी कांग्रेस अटल बिहारी वाजपेई की भतीजी पूर्व सांसद को कांग्रेस ज्वाइन कराकर यह प्रयोग कर चुकी है लेकिन इसका उसे भाजपा या मोदी के खिलाफ कुछ ज्यादा लाभ नहीं मिला था ।
सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर और गुना में भाजपा के केपी यादव,अनूप मिश्रा ,विवेक शेजवलकर,प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया जैसे कई चेहरे मुंह फुलाए बैठे हैं अतः कांग्रेस को लगता है कि ग्वालियर अंचल की चार सीटों पर उसे इसका लाभ जरूर मिलेगा यही कारण है फिलहाल इन सीटों को लेकर कांग्रेस रुको और थोड़ा इंतजार करो की रणनीति अख्तियार किए हुए है।