प्रवीण दुबे
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में पार्टियों के मीडिया सेल की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है । देश के मेन स्ट्रीम मीडिया या दूसरे शब्दों में कहें तो प्रिंट ,इलेक्ट्रॉनिक और न्यू मीडिया को तुरत फुरत खबरें उपलब्ध कराने के साथ अपने नेतृत्व से जुड़े नेताओं के हमलों का सटीक समाचार पहुंचाने के लिए मिडिया विभाग एक बड़ा चुनावी हथियार बन गया है। आज के इस चुनावी माहौल में तुलनात्मक विश्लेषण किया जाए तो बीजेपी के इसी हथियार के कारण कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर जा पहुंची है। मध्यप्रदेश की बात की जाए तो पिछले एक वर्ष में पार्टी के मीडिया सेल ने युवा और धीर गंभीर प्रदेश मीडिया प्रमुख आशीष अग्रवाल के नेतृत्व में जो नवाचार किए हैं उससे मध्यप्रदेश भाजपा नेतृत्व को बहुत ताकत मिली है। लिखने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि आशीष अग्रवाल के भीतर जबरदस्त न्यूज सेंस मौजूद है साथ ही अपनी पूरी मीडिया टीम को साथ लेकर किस समय किससे क्या काम कराना है इसकी जोरदार संगठनात्मक छमता मौजूद है।
किसी भी पार्टी का चेहरा उसका अध्यक्ष होता है,और पार्टी का अहम हिस्सा उसका मीडिया विभाग होता है जो पार्टी की आवाज को हर फोरम में रखता है। पार्टी की बात सभी अपने-अपने तरीके से रखते हैं लेकिन उनका प्रजेंटेशन किस प्रकार का है वो मायने रखता है। बीजेपी मीडिया विभाग की बात करें तो उसमें अलग-अलग समय पर मीडिया प्रभारी बनाए गए (bjp media department)। सभी ने अपनी काबिलियत और क्षमता के मुताबिक बीजेपी के मीडिया विभाग को संचालित किया। लेकिन जिस दिन से भाजपा की ओर से युवा प्रवक्ता आशीष अग्रवाल (ashish agarwal) को बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी बनाया गया उस दिन से बीजेपी मीडिया विभाग की तस्वीर बदल गई। आशीष अग्रवाल की उम्र कम है लेकिन अनुभव उससे ज्यादा है। उन्हे ऐसे समय पर बीजेपी के प्रदेश मीडिया विभाग की कमान सौंपी गई जब प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एंटीइकबेंसी की बात की जा रही थी। ऐसी स्थिति में भाजपा के नेतृत्व ने युवा प्रवक्ता आशीष अग्रवाल को प्रदेश मीडिया विभाग का प्रभारी बना कर यह बता दिया कि वो युवाओं को पीछे नहीं आगे रखकर पार्टी की आवाज को बुलंद करना चाहती है। आशीष अग्रवाल को जब प्रदेश मीडिया विभाग का प्रभारी बनाया गया उस वक्त लोगों को लग रहा था कि उनमें अनुभव की कमी है और चुनाव के समय वो दबाव नहीं झेल पाएंगे। लेकिन आशीष अग्रवाल
ने इस पद को ना सिर्फ अवसर मान कर स्वीकार किया बल्कि एक चुनौती के रुप में उन्होने मीडिया प्रभारी के पद को स्वीकार किया। यह चुनौती उनके लिए आसान भी नहीं थी क्योंकि जिम्मेदारी मिलने के महज कुछ दिनों के पहले ही आशीष अग्रवाल की मां का लंबी बीमारी के बाद स्वर्गवास हो गया था और वो अपनी मां के काफी करीब थे। मां के स्वर्गवासी होने का दुख उनके दिल और दिमांग में काफी दिनों तक रहा,आज भी वो अपनी मां की तस्वीर अपने साथ लेकर चलते हैं कार्यालय में अपनी कुर्सी में बैठने से पहले वो अपनी मां की पूजा करते हैं और फिर उसके बाद ही वो पार्टी के काम में लगते हैं। मां की पूजा से उनको शक्ति मिलती है और यही कारण है कि भाजपा के बहुत ऐसे युवा पैनलिष्ट थे जिन्हे घर बैठा दिया गया था उन्हे कोई पूछने वाला नहीं था। आशीष अग्रवाल ने पद सभांलते ही सभी प्रतिभाशाली युवाओं को बुलाया और काम पर लगा दिया। इतना ही नहीं समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले प्रतिभाशाली लोगों की भी आशीष अग्रवाल ने खोज की और उन्हे भी मंच देकर पार्टी की बात जनता के सामने रखने की आजादी दी। इस वक्त चुनाव पूरे शबाब पर है प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के नेता लगातार आ रहे हैं सभी को प्रजेंटेशन देना प्रदेश की भौगोलिक स्थिति की जानकारी देना और विपक्ष की रणनीति और आरोपों को बताने का काम वो बखूबी रखते हैं। पार्टी की गाइडलाइन के मुताबिक वो खबर देते हैं और सम्मान का वो विशेष ध्यान देते हैं जब कोई भी प्रवक्ता कांग्रेस से भाजपा के मीडिया सेंटर आता है तो वो बीजेपी मीडिया सेंटर की तारीफ किए बगैर नहीं रह पाता।