भाजपा की जिला कार्यकारिणी घोषित करना संगठनमंत्री से लेकर भाजपा प्रदेश नेतृत्व तक के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि ग्वालियर के तमाम ऐसे लोग अपने चहेतों को जिला कार्यकारिणी में देखना चाहते हैं जिनकी अवहेलना करना नेतृत्व के लिए कलह का कारण बन सकता है। यही वजह है कि पार्टी के संगठनमंत्री आशुतोष तिवारी पिछले कई दिन ग्वालियर में डेरा डालकर रायशुमारी करते रहे लेकिन इस रायशुमारी में जो कुछ सामने आया उसने श्री तिवारी के सारे प्लान को ठंडा करके रख दिया। अब हालात यह है कि जिला कार्यकारिणी पर निर्णय शीर्ष नेतृत्व पर डाल दिया गया है।
अभी तक यह माना जा रहा था कि भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को जिला कार्यकारिणी में शामिल करने को लेकर पार्टी को बड़ा दबाव झेलना पड़ेगा लेकिन तस्वीर अब इसके ठीक उलट नजर आ रही है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर में जिला कार्यकारिणी को लेकर रायशुमारी करने आये संगठनमंत्री आशुतोष तिवारी को जो कुछ पता चला है उसने श्री तिवारी के होश उड़ाकर रख दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी संगठन से जुड़े एक नहीं कई पुराने लोग अपने चहेतों या परिवार वालों को जिला कार्यकारिणी में स्थान दिलाना चाहते हैं। ऐसे लोगों पर भले ही पार्टी में फिलहाल कोई जिम्मेदारी नहीं है लेकिन पार्टी विचारधारा के लिए इनका योगदान कम नही है। हालात यहां तक हैं कि ऐसे लोगों ने अपने स्तर पर जिलाध्यक्ष, संगठनमंत्री व अन्य बड़े नेताओं के द्वारा यह तक कह दिया है कि अमुक व्यक्ति को जिला कार्यकारिणी में स्थान दिलाना उनकी अंतिम इच्छा जैसा है । इन नामों के सामने आने के कारण अब संगठनमंत्री द्वारा जिला कार्यकारिणी को लेकर जो गणित तय किया गया था वह पूरी तरह लड़खड़ा गया है। यदि बड़े लोगों की अतिंम इच्छा पूरी की जाती है तो पार्टी के भीतर कई अन्य नेताओं जिन्हें संगठन कार्यकारणी में देखना चाहता है
उनकी अवहेलना करना पड़ेगी जो पार्टी में असंतोष व कलह को जन्म देगी। उधर पार्टी के जिलाध्यक्ष, सांसद व उनके मुंह लगे कुछ नेता इस ऊहापोह में अपने राजनीतिक पक्ष को मजबूत करने की बिछात बिछा रहे हैं । चूंकि सांसद विवेक शेजवलकर की संगठनात्मक पकड़ बेहद मजबूत है और वर्तमान जिलाध्यक्ष उनके निकट नेताओ में गिने जाते हैं इस कारण जिला कार्यकारिणी को लेकर श्री शेजवलकर का इस्तेमाल भी पार्टी नेतृत्व के लिए परेशानी खड़ा कर रहा है। यही कारण है कि संगठनमंत्री आशुतोष तिवारी कुछ भी तय नहीं कर सके और सारी बात से प्रदेश अध्यक्ष व अन्य शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराया है। देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी ग्वालियर जिला कार्यकारिणी के इस कुचक्र से कैसे बाहर निकलती है।