केंद्र सरकार ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के दो रास्तों से होने वाले व्यापार पर रोक लगा दी। सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि यह फैसला उन रिपोर्ट के आधार पर किया गया है जिसमें कहा गया है कि इन रास्तों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
एलओसी पर व्यापार की अनुमति जम्मू-कश्मीर में दोनों तरफ के लोगों को साझा उपयोग की वस्तुओं की अदला-बदली के लिए दी गई थी। व्यापार की अनुमति दो सुविधा केंद्रों बारामूला जिले में सलामाबाद, उरी और पुंछ जिले में चक्कन द बाग के जरिये दी गई थी।
मिली थी रिपोर्ट :
सरकार का कहना है कि इस तरह की रिपोर्ट मिल रही थी कि एलओसी व्यापार सुविधा का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा था। इस सुविधा का दुरुपयोग करते हुए व्यापार का मूल चरित्र बदल दिया गया और इसमें तीसरी पार्टी शामिल हो गई। विदेशी सामानों को इस रास्ते से भारतीय सीमा में अवैध तरीके से भेजा जा रहा था।
अमल के लिए तंत्र :
पुलवामा हमले के बाद सरकार ने पाकिस्तान का सर्वाधिक तरजीही देश (एमएफएन) का दर्जा भी छीन लिया था। ताजा *फैसले पर अमल के लिए सरकार ने *कड़े नियामक और प्रभावी तंत्र बनाने को कहा है।
सियासत हुई शुरू
इस घोषणा के तत्काल बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों ने इसे चुनावी हथकंडा बताया। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वर्षों से हम पूरे ट्रक की जांच के लिए जोर देते रहे हैं। लेकिन इसके बदले उन्होंने पूरी तरह से व्यापार बंद कर दिया। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी फैसले की निंदा की। .
सरकार को रिपोर्ट मिली थी कि नियंत्रण रेखा पार के रास्ते का पाकिस्तान और आतंकी संगठन अवैध हथियार, मादक पदार्थ और जाली मुद्रा भेजने के लिए कर रहे हैं। एनआईए की जांच में भी पता चला था कि व्यापार का यह रास्ता आतंकी संगठनों के निशाने पर था।