Homeप्रमुख खबरेंमंत्रीजी की बीमारी के पीछे सुस्त सरकारी मशीनरी का कड़वा सच

मंत्रीजी की बीमारी के पीछे सुस्त सरकारी मशीनरी का कड़वा सच

विजयलक्ष्मी साधौ के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार के एक और मंत्री प्रद्युम्न सिंह के बीमार होने के बाद अब यह सामने आया है कि जरुरत से ज्यादा भागदौड़ और अनिद्रा के कारण वे बीमार हुए। यह स्थिति देख वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल ने अपनी लेखनी दौड़ाई और इशारा किया कि काम के कारण यदि कोई जनप्रतिनिध ठीक से सो न पाए और बीमार हो जाये तो इसका सीधा मतलब है की सरकारी मशीनरी ढंग से काम नहीं कर रही यदि यह सच है तो बेहद चिंतनीय है। पाठकों के लिए अचल जी द्वारा लिखे लेख भेराये हुए जनप्रतिनिधि को हम प्रकाशित कर रहे हैं। आप भी रूबरू होइये इस कड़वे सच से।

प्रदेश के एक नए-नवेले मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह को तबियत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा ,गनीमत ये की उन्हें डॉ विजयलक्ष्मी साधो की भाँती एयर  लिफ्ट नहीं करना पड़ा. मंत्री जी की बीमारी की वजह क्षमता से ज्यादा भाग-दौड़ और अनिंद्रा बताई गयी .ये सचमुच चिंता का विषय है कामबाध के कारण यदि कोई जनप्रतिनिध ठीक से सो न पाए और बीमार हो जाये तो इसका सीधा मतलब है की सरकारी मशीनरी ढंग से काम नहीं कर रही .

मंत्री बनने से पहले विधायक बनने के फेर में आदमी की नींद हराम हो जाती है और विधायक बनने के बाद मंत्री बनने तक नींद हराम रहना स्वाभाविक है लेकिन मंत्री बनने के बाद भी यदि किसी की नींद हराम रहती है तो इसकी विवेचना आवश्यक है .एक मंत्री पर पूरे प्रदेश का दायित्व रहता है किन्तु अनेक वर्षों से देखने में आ रहा है की मंत्रीगण अपने विधान सभा क्षेत्र तक सीमित होकर रह जाते हैं.भूमिका बदलने के बावजूद वे अपनी भूमिका नहीं बदलना चाहते और बीमार पड़ जाते हैं..

मेरा निजी ख्याल है की मंत्री को पार्षद की भूमिका अदा नहीं करना चाहिए.जनता की सेवा निगरानी और निजी इकबाल से भी हो सकती है .मंत्रियों को अपने क्षेत्र के साथ ही पूरे प्रदेश में अपनी भूमिका चिन्हित कर उतना ही काम करना चाहिए जितना की उनकी सेहत गवारा करती हो.कोई बीमार मंत्री क्षेत्र या प्रदेश की जनता की बेहतर सेवा कैसे कर सकता है?दरअसल प्रशासन जब सही सुनवाई नहीं करता तब समस्याएं खड़ी होती हैं .प्रशासन भी यदि मंत्री जी की तरह संवेदनशील हो तो कोई समस्या ही पैदा न हो लेकन ऐसा है नहीं .

अभी कुछ दिन पहले मैंने खुद प्रशासन से एक शासकीय भूमि पर सामूहिक अतिक्रमण की सूचना दी,प्रशासन से तुरत संज्ञान लेने का आश्वासन भी मिला लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.मुमकिन है की मै यदि मंत्री जी को सूचना देता तो कोई नतीजा निकलता लेकिन मै अपने मंत्री को और बीमार नहीं करना चाहता था इसलिए चुप होकर बैठ गया.कलेक्टर कार्यालय के बगल की पहाड़ी पर हुए  अतिक्रमण को मैंने चुपचाप देखा  .

मेरा सुझाव है की मंत्री जी अपना काम अपने  प्रतिनिधियों में विभाजित करें ,अलग-अलग निगरानी के लिए अलग-अलग कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दें और खुद केवल समन्वय का काम करें तो वे भी स्वस्थ्य रहेंगे और काम भी होते जायेंगे .समय से सोएं,समय से जागें,वर्जिश करें ,मंत्री बनने के बाद पर इनकी मनाहीं कहीं नहीं है .हड़बड़ी और अतिउत्साह किसी भी तरीके से ठीक नहीं .मेरा सुझाव केवल खाद्य और नागरिक मंत्री तक ही सीमित नहीं है बल्कि समूचे मंत्रिमंडल के लिए भी है .हमारी स्पष्ट मान्यता है की एक स्वस्थ्य मंत्रिमंडल  ही प्रदेश की सही सेवा कर सकता है .

@ राकेश अचल

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