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मध्यप्रदेश के पाँच मेडिकल कॉलेज में पी.जी. पाठ्यक्रम में 803 सीट बढाने को मंजूरी

भोपाल /केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तकनीकी मूल्यांकन समिति ने मध्यप्रदेश के पाँच शासकीय मेडिकल कॉलेज में स्नातकोत्तर (पी.जी.) पाठ्यक्रम में 803 सीट बढाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन सीटों को बढाने पर 521 करोड़ 74 लाख 45 हजार रूपये खर्च होंगे। इस खर्च का 60 प्रतिशत केन्द्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा वहन किया जायेगा।

केन्द्र सरकार से मंजूरी से प्रदेश के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर में 85, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा में 88, गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में 91, महात्मा गाँधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर में 169, बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज सागर में 85 और गाँधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में 285 सीटें बढेंगी।

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि जबलपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज के लिये द्वितीय चरण में 17 पी.जी. पाठ्यक्रमों में सीट बढाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। इससे बॉयो केमिस्ट्री, माईक्रो बॉयोलॉजी, फॉरेन्सिक मेडिसिन, इमरजेंसी मेडिसिन और पल्मोनरी मेडिसिन (डीएम) की क्रमश: पाँच, दो, तीन और दस सीट बढेंगी। इसी के साथ, द्वितीय चरण में पैथालॉजी, साइकियाट्रिक, रेडियो डायग्नोसिस में दो-दो, फॉर्माकोलॉजी में 6, ऑप्थलमोलॉजी में 4, ईएनटी में एक, जनरल मेडिसिन में 18, जनरल सर्जरी में 8, ऑर्थोपेडिक्स में 7, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में 5, रेस्पॉयरेटरी में 5 और न्यूरो सर्जरी में 3 सीट की वृद्धि होगी, जिसका अनुमानित व्यय लगभग 93 करोड़ रूपये है।

रीवा के शासकीय श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय में बॉयो-केमेस्ट्री और फॉरेंसिक मेडिसिन की 3-3, ओटोरिनोलेरिंगोलॉजी की 4, रेडियो डायग्नोसिस की 4 और डर्माटोलॉजी, वेनेरेलॉजी एण्ड लेप्रसी की 2 सीट की वृद्धि होगी। साथ ही, एनाटॉमी की 4, फिजियोलॉजी की 5, पैथालॉजी की 8, फार्माकोलॉजी की 3, कम्युनिटी मेडिसिन की 4, ऑप्थलमोलॉजी की 4, जनरल मेडिसिन की 8, जनरल सर्जरी की 6, ऑर्थोपेडिक्स की 7, गॉयन्कोलॉजी की 5, पीडियाट्रिक्स की 3, एनिस्थीसियोलॉजी की 14 और साइकियाट्री में एक सीट की वृद्धि होगी, जिस पर 77.17 करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी।

ग्वालियर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में एनाटॉमी की 8, फिजियोलॉजी की 6, पैथालॉजी की 10, माइक्रो बॉयोलॉजी की 7, फार्माकोलॉजी की 8, कम्युनिटी मेडिसिन की 7, ऑथोपेडिक्स की 5, जनरल सर्जरी की 11, एनिस्थीसियोलॉजी की 4, गॉयन्कोलॉजी की 8, जनरल मेडिसिन की 10, रेडियो डॉयग्नोसिस की 4 और पीडियाट्रिक्स की 3 बढेंगी, जिस पर लगभग 60 करोड़ व्यय होंगे।

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