Homeप्रमुख खबरेंमध्यप्रदेश में सक्रीय कांग्रेस कम्युनिस्ट समाजवादियों का स्लीपर सैल जानिए कौन है...

मध्यप्रदेश में सक्रीय कांग्रेस कम्युनिस्ट समाजवादियों का स्लीपर सैल जानिए कौन है इनका नेता और क्या कहा भाजपा ने

प्रवीण दुबे

https://youtube.com/shorts/rFfYl9pq1l0?si=udvU9rWDlYJwm-GL

मध्यप्रदेश में भी कर्नाटक की तर्ज पर सोशलिस्ट  कम्युनिस्ट,समाजवादी और कांग्रेसी मानसिकता के कुछ राजनीतिज्ञों ने परदे के पीछे रहकर भाजपा को हराने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए कर्नाटक से आयतित कुछ मोदी विरोधी चेहरों  ने मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक मंच नाम से गैर राजनीतिक संगठन खड़ा किया है और मध्यप्रदेश में  कुछ कम्युनिस्टो के साथ पुराने समाजवादी नेता डॉ सुनीलम को इसकी कमान सौंपी है। सूत्रों का कहना है कि इस मंच के पीछे बहुत सारे ऐसे मोदी विरोधी शामिल हैं जो लंबे समय से देश के अलग अलग इलाकों में आंदोलन करते रहे हैं और वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन में भी शामिल हैं। इनमें जेएनयू वाली वैचारिक पृष्ठभूमि वाले कुछ वामपंथियों को भी स्थान दिया गया है।

इस बारे में shabd shakti news ने डॉ सुनीलम से बात की उन्होंने खुले तौर पर यह कहा कि उनका उद्देश्य भाजपा हटाओ है, लेकिन वह इस बात का जवाब नहीं दे सके कि वे यदि मध्यप्रदेश में भाजपा को हराना चाहते हैं तो किसको जिताने का आग्रह जनता से करेंगे ?
 उनसे जब यह पूछा गया कि इंडी गटबंधन भी  यही काम कर रहा है तो फिर नए संगठन की आवश्यकता क्यों ?
इसके जवाब में सुनीलम ने कहा कि हम गैर राजनीतिक रूप से जनता के बीच जाकर भाजपा को हटाने का आव्हान करेंगे यही हमने कर्नाटक में भी किया था और इसमें हमें  सफलता भी मिली है।

उधर भोपाल में गठित हुआ मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक मंच ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी कि

 कर्नाटक चुनाव में भाजपा को शिकस्त दिलाने के बाद अब देशभर में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए नागरिक समाज सामने आया है। उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ आज बुधवार को राजधानी भोपाल में कर्नाटक से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए। बैठक के दौरान विचार विर्मश के बाद आम सहमति से मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक मंच का गठन किया गया है, जो आने वाले लोकसभा चुनाव में देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए मध्य प्रदेश में व्यापक स्तर पर लामबंदी करेगा।
राजधानी भोपाल में इडेलु कर्नाटक समूह से आए डॉ स्वाति और सलमान, दिल्ली से आए लईक अहमद और साज़िद अली ने अपने विधानसभा चुनाव के अनुभव साझा किए। ये वही समूह है, जिसने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान 224 में से 136 क्षेत्रों का चयन किया था। इसमें से 73 सीटों पर नागरिक समाज भाजपा को हराने में कामयाब रहा था। इडेलु कर्नाटक अभियान के चलते विपक्ष के साढ़े सात से साढ़े नौ प्रतिशत वोट बढ़े थे। साथ ही 31 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की जीत में इडेलु कार्यकर्ताओं की विशेष भूमिका रही थी। इसमें तमाम स्वयंसेवी संगठन और नागरिक समाज के लोग शामिल थे।
डॉ स्वाति ने बताया कि किस तरह कर्नाटक चुनाव के पहले अलग-अलग समुदाय के नागरिकों के बीच एक साझा समझ बनी कि लोकतंत्र बचाने के लिए भाजपा को हराना जरूरी है। इसके बाद दलित आंदोलन, सामाजिक न्याय आंदोलन, किसान आंदोलन, युवा, अल्पसंख्यक, महिला, आदिवासी, दलित आंदोलन भी जुड़ते गए। साहित्यकारों और कलाकारों ने इसमें विशिष्ट योगदान किया। खास रणनीति के तहत सभी ने मिलकर काम किया, इसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा के वे तमाम मुद्दे जनता के बीच कारगर नहीं हो सके, जिनके आधार पर वे ध्रुवीकरण करने में सफल होते थे। कर्नाटक में मतदाता पंजीयन, मतदाता सूची तैयार करने से लेकर बूथ स्तर तक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी भूमिका निभाई।
बैठक में कर्नाटक चुनाव के पैटर्न से लेकर देशभर में हुए पिछले चुनावों के आंकड़ें भी पेश किए गए। आंकड़ों के माध्यम से यह जानकारी भी दी गई कि मध्य प्रदेश में पांच लोकसभा क्षेत्र में यदि विधानसभा क्षेत्र के वोटों को जोड़ा जाए तो कांग्रेस ने जीत हासिल की थी तथा चार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच 1-2 प्रतिशत का अंतर रहा। राष्ट्रीय स्तर पर यह तथ्य सामने आया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 81.45 करोड़ मतदाता थे। जिनमें 17.15 करोड़ ने भाजपा को वोट दिया। इसी तरह 2019 के चुनाव में 91.20 करोड़ मतदाताओं में से 22.91 करोड़ मतदाताओं ने ही भाजपा को वोट दिया था। यानि बहुसंख्यक मतदाताओं ने भाजपा के खिलाफ वोट किया था।
बैठक में यह भी तय किया गया कि इस काम को मध्य प्रदेश में भी विस्तार दिया जाना चाहिए। इसीलिए मप्र लोकतांत्रिक मंच का गठन किया गया। इसके लिए शुरुआती दौर पर एक कोर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में डॉ सुनीलम, शैलेन्द्र कुमार शैली, हाजी मोहम्मद हारुन, फौज़ान, एड आराधना भार्गव, अनिल धीमान, भारत शर्मा, जैद पठान सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया।
इसके अलावा विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में उप समितियों का भी गठन किया गया। मंच की विस्तारित बैठक में कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। मंच की अगली बैठक में कार्ययोजना को विस्तार दिया जाएगा। साथ ही लोकसभा स्तर पर मंच के विस्तार की रणनीति बनाई जाएगी, जिससे जमीनी स्तर पर नागरिकों को भाजपा के खिलाफ लामबंद किया जा सके।
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments