माओवाद से कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी किए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, इसलिए अभी साईबाबा जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे
2017 में गढ़चिरौली कोर्ट ने दोषी पाया था
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली कोर्ट ने 2017 में साईबाबा और पांच अन्य को आरोपियों को UAPA और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया। साईबाबा और चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा और एक को दस साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। गढ़चिरौली कोर्ट के फैसले के खिलाफ साईबाबा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की।
माओवाद से कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तारी
2013 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस ने माओवाद से जुड़े महेश तिर्की, पी. नरोटे और हेम मिश्रा को गिरफ्तार किया। इन्हीं तीनों से पूछताछ के बाद जीएन साईबाबा के खिलाफ पुलिस कोर्ट गई माओवाद से कनेक्शन के आरोप में 9 मई 2014 को दिल्ली आवास से साईबाबा को गिरफ्तार किया गया। 2015 में साईबाबा के खिलाफ UAPA के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही शुरू की गई।
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