भोपाल / एक तरफ कोरोनावायरस का संक्रमण काल वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में इस महामारी के दौर में आर्थिक कंगी के साथ-साथ मानसिक तनाव के चलते लगातार आत्महत्या के दौर ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए आगे आने वाला समय सामाजिक रूप से क्या संकेत लेकर आने वाला है । एक जानकारी के अनुसार पिछले 2 महीने में राष्ट्रीय स्तर पर मानसिक तनाव के चलते एवं डिप्रेशन की स्थिति में 100 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 24 को पार कर गया है । पिछले 24 घंटे के अंदर दो युवा सहित एक पारिवारिक महिला ने मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या की ।
उज्जैन प्लाटून कमांडर ने खुद को गोली मारी
पारिवारिक विवाद एवं मानसिक तनाव के चलते 24 घंटे के अंतराल में मध्यप्रदेश में 3 लोगों ने आत्महत्या की है। इसमें दो युवा जिसमें एक प्लाटून कमांडर के पद पर पदस्थ दमोह का रहने वाला वर्तमान में उज्जैन पदस्थ दीपक वैद्य ने अपनी ही सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली वहीं दूसरी ओर भवर कुआं इंदौर पुणे क्षेत्र में समता नगर की रहने वाली अन्नपूर्णा उर्फ अन्नू उम्र लगभग 30 साल जिसकी 4 साल की बेटी थी। कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को देखते हुए एवं स्वयं को 15 दिनों से लगातार बीमार होने के कारण मानसिक तनाव में आ गई एवं आत्महत्या कर ली। वही भोपाल में सोमवार को लोक डाउन की स्थिति के चलते हुए आर्थिक नुकसान में एक कैटरिंग संचालक 28 वर्षीय विश्वनाथ राय ने फांसी का फंदा डालकर आत्महत्या कर ली । पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्वनाथ राय कैटरीन के संचालक थे एवं जबसे लॉक डाउन लगा है तब से उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। मानसिक तनाव एवं डिप्रेशन की स्थिति के कारण सोमवार को देर रात को उन्होंने आत्महत्या कर ली। वहीं दूसरी और उज्जैन में सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मारने वाले प्लाटून कमांडर दीपक वैद्य के बारे में कहा जाता है की 1 महीने पहले ही उनकी सगाई हुई थी और शीघ्र शादी होने वाली थी।
लोक डाउन की स्थिति में लगातार मानसिक तनाव अथवा आर्थिक मंदी का दौर अथवा डिप्रेशन की स्थितियों के कारण लगातार होने वाली आत्महत्याओं को लेकर मानसिक रोगों का इलाज करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लोगों को जैसे ही लक्षण दिखाई देने लगे उन्हें एकांत में और अकेला नहीं छोड़ना चाहिए । मानसिक अवसाद की स्थितियों में आने वाले आत्महत्याओं का यह कर्म और भी बढ़ने की आशंका बताते हुए डॉक्टरों की राय है कि पारिवारिक रूप से सामूहिक एवं जॉइंट फैमिली में रहने वाले लोग ऐसी स्थिति में बहुत कम पहुंचते हैं। अरदास आत्महत्या से बचाने के लिए सामूहिक जुड़ाव एवं सामाजिक जुड़ाव होना बेहद आवश्यक है ।
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