गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शनिवार को अचानक पद से इस्तीफा दे दिया। चुनाव से करीब एक साल पहले बीजेपी राज्य में सरकार का चेहरा बदलने जा रही है। बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने रूपाणी के उत्तराधिकारी के नाम पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन सियासी गलियारों में कई नामों को लेकर अटकलें चल रही हैं। माना जा रहा है कि पाटीदार समाज के किसी नेता को अगला सीएम बनाया जाएगा, जिनमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का नाम भी शामिल है। अगले मुख्यमंत्री के नाम पर रविवार को पार्टी विधायक दल की बैठक में मुहर लगेगी।
भाजपा के शीर्ष नेताओं ने हालांकि उनके उत्तराधिकारी के नाम के मामले में चुप्पी साध रखी है पर सूत्रों के अनुसार इस पद पर किसी पाटीदार नेता को लाए जाने की अधिक सम्भावना है। पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में अगले साल होने वाले चुनाव को हर हाल में जीतना चाहती है। राज्य में राजनीतिक रूप से दबंग पाटीदार समाज को पारंपरिक रूप से भाजपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता रहा है।
राजनीतिक हलकों में मनसुख मांडविया के अलावा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को भी मुख्यमंत्री पद के एक सम्भावित उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा पुरुषोत्तम रूपाला का नाम भी रेस में बताया जा रहा है। कुछ जानकार यह भी कह रहे हैं कि पीएम मोदी किसी नए चेहरे को भी आगे करके एक बार फिर चौंका सकते हैं।
65 वर्षीय रूपाणी ने अगस्त 2016 में हार्दिक पटेल की अगुवाई वाले पाटीदार आंदोलन के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद यह पद पहली बार संभाला था। 2017 के चुनाव में भाजपा के अपेक्षाकृत लचर प्रदर्शन के बावजूद उन्हें दूसरी बार भी मुख्यमंत्री बनाया गया था। उनके आज पीएम मोदी के शिरकत वाले पाटीदार समाज के ही एक बड़े कार्यक्रम के अचानक बाद राज्यपाल आचार्य देवव्रत को इस्तीफा सौंपने को लेकर रजनीतिक हलकों में अटकलों का बाज़ार गर्म है। उस कार्यक्रम में राज्य के कई दिग्गज पाटीदार नेता मौजूद थे।
वैसे रूपाणी को पद से हटाए जाने की अटकलें पिछले कुछ समय से गुजरात में सुनी जा रही थीं। रूपाणी ने जब इस्तीफ़ा दिया तो उनके साथ गुजरात के तीन बड़े पाटीदार नेता केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और परशोत्तम रूपाला और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल भी उपस्थित थे। बताया जाता है कि रूपाणी के भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद और मोदी के क़रीबी माने जाने वाले सी आर पाटिल के साथ भी बहुत अच्छे सम्बंध नहीं रहे हैं।