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यह तो ठीक नहीं है महाराज साहब क्रिकेट पर सबकुछ न्यौछावर राष्ट्रीय खेल को आयोजन के लाले

प्रवीण दुबे
सिंधिया राजवंश के नाम पर स्थापित राष्ट्रीय खेल हॉकी से जुड़ी रही है सौ वर्ष पुरानी सिंधिया गोल्ड कप हॉकी प्रतियोगिता 
इस वर्ष धन की कमी के कारण नगरनिगम ने आयोजित नहीं की यह प्रतियोगिता 

 

हमारे महाराज और युवराज के क्रिकेट प्रेम की जितनी तारीफ की जाए कम है इसमें कोई बुराई भी नहीं लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि क्रिकेट प्रेम के लिए राष्ट्रीय खेल हॉकी से जुड़ी उस विरासत के प्रति उदासीनता दिखाई जा रही है जिसकी शुरुआत महाराज और युवराज के पूर्वजों ने ही कराई थी ।

इतना ही नहीं उस विरासत से सीधे सीधे सिंधिया राजवंश का नाम जुड़ा है। और तो और जिस खेल मैदान पर इस विरासत की तमाम स्मृतियां जुड़ी हैं उस मैदान को भी हॉकी की जगह क्रिकेट को समर्पित करा दिया गया।

हम बात कर रहे हैं देश के सबसे पुराने हॉकी टूर्नामेंट में से एक सिंधिया गोल्ड कप टूर्नामेंट की लगभग 100 वर्ष पुरानी

80 वें सिंधिया स्वर्ण कप हॉकी प्रतियोगिता में विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान करते  तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर व अन्य नेतागण
सिंधिया गोल्ड कप प्रतियोगिता को देश की ए ग्रेड हाकी प्रतियोगिता होने का गौरव प्राप्त है। इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू हाकी टूर्नामेंट दिल्ली, केडी सिंह बाबू हाकी टूर्नामेंट लखनऊ, ओबेदुल्लाह हाकी कप भोपाल, आगा खान हाकी टूर्नामेंट मुंबई और गुरुनानक देव जी हाकी टूर्नामेंट पंजाब की गिनती भी ए ग्रेड टूर्नामेंट में होती है।
एक समय था जब ग्वालियर में आयोजित होने वाले इस टूर्नामेंट के लिए प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी रूपसिंह की स्मृति में रूपसिंह स्टेडियम स्थापित किया गया और 1984 तक हर वर्ष यहां धूमधाम से सिंधिया गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट का आयोजित किया जाता रहा।पूरे देश में इस हॉकी टूर्नामेंट की विशेष पहचान थी ।
1984 के बाद जब सिंधिया राजवंश के तत्कालीन महाराज वरिष्ठ कांग्रेस नेता तथा तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री स्व माधवराव सिंधिया के क्रिकेट प्रेम के कारण रूपसिंह स्टेडियम पर हॉकी प्रतिबंधित कर दी गई और इसे पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के स्वरूप में सजा संवार दिया गया।

 हां इतना अवश्य हुआ कि श्री सिंधिया के प्रयासों से ग्वालियर में एस्ट्रोटर्फ युक्त रेलवे हॉकी स्टेडियम बनकर तैयार हुआ लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि स्थापना के बाद से ही जहां एक ओर तमाम तकनीकी कारणों से यह स्टेडियम अनदेखी का शिकार हुआ दूसरी ओर इस हॉकी स्टेडियम को  रेलवे नाम से पहचान दी गई सिंधिया सहित सरकार के किसी भी नुमाइंदे ने इसका नामकरण महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद   पर किए जाने  के  प्रयास नहीं किए।

 
रूपसिंह स्टेडियम छिन जाने के कारण कुछ वर्षों तक सिंधिया गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट आयोजित नहीं हो सका हालांकि बाद में ग्वालियर नगरनिगम इसे आयोजित करता रहा 
 
इस वर्ष की बात की जाए तो  3 से 10 जनवरी तक इसका आयोजन होना था, लेकिन नगर निगम का खजाना खाली होने के कारण इस बार हॉकी टूर्नामेंट  स्थगित कर दिया गया , पिछली बार यह टूर्नामेंट मार्च में आयोजित हो सका था।

हॉकी इंडिया ने अपने वर्ष-2024 के कैलेंडर में सिंधिया गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट के आयोजन की तिथि 3 से 10 जनवरी घोषित की थी, लेकिन नगर निगम ने आयोजन करने से इंकार कर दिया। इसके बाद फिलहाल नई तिथि जारी नहीं की गई है। वहीं अब इस वर्ष सिंधिया गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट के आयोजन पर संशय के बादल छा गए हैं। निगम पर बजट नहीं होने के कारण इस वर्ष आयोजन होना मुश्किल ही है।

इसे राष्ट्रीय खेल के प्रति ग्वालियर की अनदेखी ही कहना चाहिए कि इससे जुड़ी सौ साल पुरानी गौरवशाली परंपरा का निर्वहन इस कारण नहीं हो पा रहा है क्यों कि उसके लिए नगरनिगम पर पैसे नहीं हैं वहीं दूसरी ओर जिस सिंधिया राजवंश के साथ इस हॉकी टूर्नामेंट का नाम जुड़ा है उसी सिंधिया राजवंश की विरासत को संभालने वाले महाराज और युवराज को भी इसकी चिंता नहीं है उनके द्वारा ग्वालियर में नए क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण से लेकर MPCL जैसे भव्य आयोजन कराने तक और अब बांग्लादेश क्रिकेट टीम के ग्वालियर में अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच कराने तक दिन रात एक किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर उनके ही ग्वालियर में उनके ही परिवार द्वारा देश के राष्ट्रीय खेल हेतु शुरू किए गए गौरवशाली आयोजन की परम्परा दम तोड़ती दिखाई दे रही है।

 

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