प्रवीण दुबे
सिंधिया राजवंश के नाम पर स्थापित राष्ट्रीय खेल हॉकी से जुड़ी रही है सौ वर्ष पुरानी सिंधिया गोल्ड कप हॉकी प्रतियोगिता
इस वर्ष धन की कमी के कारण नगरनिगम ने आयोजित नहीं की यह प्रतियोगिता
हमारे महाराज और युवराज के क्रिकेट प्रेम की जितनी तारीफ की जाए कम है इसमें कोई बुराई भी नहीं लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि क्रिकेट प्रेम के लिए राष्ट्रीय खेल हॉकी से जुड़ी उस विरासत के प्रति उदासीनता दिखाई जा रही है जिसकी शुरुआत महाराज और युवराज के पूर्वजों ने ही कराई थी ।
इतना ही नहीं उस विरासत से सीधे सीधे सिंधिया राजवंश का नाम जुड़ा है। और तो और जिस खेल मैदान पर इस विरासत की तमाम स्मृतियां जुड़ी हैं उस मैदान को भी हॉकी की जगह क्रिकेट को समर्पित करा दिया गया।
हां इतना अवश्य हुआ कि श्री सिंधिया के प्रयासों से ग्वालियर में एस्ट्रोटर्फ युक्त रेलवे हॉकी स्टेडियम बनकर तैयार हुआ लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि स्थापना के बाद से ही जहां एक ओर तमाम तकनीकी कारणों से यह स्टेडियम अनदेखी का शिकार हुआ दूसरी ओर इस हॉकी स्टेडियम को रेलवे नाम से पहचान दी गई सिंधिया सहित सरकार के किसी भी नुमाइंदे ने इसका नामकरण महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद पर किए जाने के प्रयास नहीं किए।
हॉकी इंडिया ने अपने वर्ष-2024 के कैलेंडर में सिंधिया गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट के आयोजन की तिथि 3 से 10 जनवरी घोषित की थी, लेकिन नगर निगम ने आयोजन करने से इंकार कर दिया। इसके बाद फिलहाल नई तिथि जारी नहीं की गई है। वहीं अब इस वर्ष सिंधिया गोल्ड कप हॉकी टूर्नामेंट के आयोजन पर संशय के बादल छा गए हैं। निगम पर बजट नहीं होने के कारण इस वर्ष आयोजन होना मुश्किल ही है।
इसे राष्ट्रीय खेल के प्रति ग्वालियर की अनदेखी ही कहना चाहिए कि इससे जुड़ी सौ साल पुरानी गौरवशाली परंपरा का निर्वहन इस कारण नहीं हो पा रहा है क्यों कि उसके लिए नगरनिगम पर पैसे नहीं हैं वहीं दूसरी ओर जिस सिंधिया राजवंश के साथ इस हॉकी टूर्नामेंट का नाम जुड़ा है उसी सिंधिया राजवंश की विरासत को संभालने वाले महाराज और युवराज को भी इसकी चिंता नहीं है उनके द्वारा ग्वालियर में नए क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण से लेकर MPCL जैसे भव्य आयोजन कराने तक और अब बांग्लादेश क्रिकेट टीम के ग्वालियर में अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच कराने तक दिन रात एक किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर उनके ही ग्वालियर में उनके ही परिवार द्वारा देश के राष्ट्रीय खेल हेतु शुरू किए गए गौरवशाली आयोजन की परम्परा दम तोड़ती दिखाई दे रही है।