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रविवार बसंत पंचमी पर करें बुद्धि विद्या विवेक की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा

  रविवार को देशभर में विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती  का प्राकटय दिवस बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाएगा     वसंत को ऋतुओं यानी मौसमों का राजा कहा जाता है। इसे कामदेव की प्रधानता का मौसम भी कहते हैं, क्योंकि धरती इस मौसम में खूबसूरत फूलों का श्रंगार करती है। इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में कई उत्सव मनाने का भी रिवाज है। वसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है और बच्चों की पढ़ाई का आरंभ भी किया जाता है। आन्ध्र प्रदेश में इसे विद्यारंभ पर्व कहते हैं। यहां के बासर सरस्वती मंदिर में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

मां सरस्वती की पूजा का दिया था वरदान 
वसंत पंचमी पर विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी। पारंपरिक रूप से देश के कई हिस्सों में इस दिन बच्‍चे को प्रथमाक्षर यानी पहला शब्‍द लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है।

वसंत पंचमी के दिन उत्पन्न हुईं थी सरस्वती
हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई है। इसीलिए उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। यह दिन बसंत पंचमी का था।

ऐसे पूजा कर मां सरस्वती को करें प्रसन्न

सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें।

पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें।

पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें, और बच्चों को पूजा में शामिल करें।

इस दिन पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, पूजा के वक्त या फिर पूरे दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

बच्चों को पुस्तकें तोहफे में दें।

पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें।

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