HomeBreakingराजा के सामने महाराजा एकबार फिर चारों खानें चित्त

राजा के सामने महाराजा एकबार फिर चारों खानें चित्त

 

अंततः सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में उनके धुर विरोधी दिग्गीराजा सेंध लगाने में कामयाब हो गए हैं। यहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया के लाख प्रयाशों के बावजूद दिग्गी गुट के अशोक सिंह टिकट प्राप्त करने में कामयाब रहे हैं।

हालांकि इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि ग्वालियर लोकसभा सीट से कांग्रेस के पास अशोक सिंह से बेहतर दूसरा कोई नाम नहीं हो सकता था लेकिन यह कांग्रेस का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि श्रेष्ठ चेहरा सामने होने के बावजूद गुटबाजी के चलते नाम घोषित करने में जरूरत से ज्यादा समय लिया गया।

एक समय तो अशोक सिंह के  नाम को रोकने के लिए खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया रातों रात दिल्ली से ग्वालियर पहुंचे और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए आनन फानन में अपने प्रभाव वाली जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक आहूत करके प्रियदर्शिनी राजे के नाम का प्रस्ताव पास कर राहुल गांधी के पास भेजा गया इस बैठक में दिग्विजयसिंह समर्थक एक भी नेता शामिल नहीं हुआ था।ऐसा यह जानते हुए भी किया गया  कि प्रियदर्शिनी राजे गुना में अपने पति ज्योतिरादित्य के चुनाव प्रचार की कमान सम्भालेंगीं ओर gwalior से कभी भी चुनाव नहीं लड़ेंगी।

साफ है कि अपने प्रभाव वाले ग्वालियर में दिग्विजयसिंह समर्थित अशोक सिंह को रोकने के लिए ज्योतिरादित्य खेमे द्वारा यह पांसा फैंका गया। यही वजह रही बेहतर प्रत्याशी सामने होने के बावजूद ग्वालियर में उहापोह के हालात बने रहे और इस बीच श्री सिंधिया ने अशोक सिंह को रोकने व कई अन्य नामों के विकल्प को तलाशने में पूरी ताकत लगा दी। बावजूद इसके श्री सिंधिया कांग्रेस हाईकमान के सामने अपनी बात मनवाने में नाकाम रहे और दिग्गी गुट के सामने अपने ही गृहनगर में चारों खाने चित्त हो गए।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस की गुटबाजी के चलते क्या अशोक सिंह की चुनावी राह आसान होगी ? राजनीतिक विश्लेषकों की मानी जाए तो हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद दिग्विजयसिंह और ज्योतिरादित्य के बीच जिस प्रकार की गुटबाजी देखने को मिली थी और दिग्गीराजा ने कमलनाथ से हाथ मिलाकर ज्योतिरादित्य को जहां मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से रोक दिया था साथ ही ज्योतिरादित्य समर्थक विद्यायकों को कमजोर पोर्टफोलियो देने में सफलता हासिल की थी उसके बाद से ज्योतिरादित्य खेमा अपमान का घूंट पीए बैठा है। ऐसी स्थिति में दिग्विजयसिंह गुट से ताल्लुक रखने वाले अशोक सिंह को जिताने के लिए ज्योतिरादित्य गुट पूरी ताकत लगाएगा इसमें फिलहाल सन्देह है। देखना दिलचस्प होगा महाराजा के गढ़ में राजा की सेंधमारी कांग्रेस के लिए क्या गुल खिलाती है।

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