रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास का साकेतवास हो गया। वह 85 वर्ष के थे और इसी माह के आरंभ में ब्रेन स्ट्रोक के चलते उन्हें पीजीआइ-लखनऊ में भर्ती कराया गया था। वहीं उन्होंने बुधवार को सुबह 7:30 बजे अंतिम सांस ली। उनके शिष्य एवं रामलला के सहायक अर्चक प्रदीपदास के संयोजन में मुख्य अर्चक की पार्थिव काया अयोध्या के रामघाट स्थित उनके आश्रम सत्यधाम में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया था। उन्हें गुरुवार दोपहर पुण्य सलिला सरयू में जल समाधि दी गई।
आचार्य सत्येंद्रदास मूलरूप से संत कबीरनगर के निवासी थे। पिता के साथ यदा-कदा अयोध्या आते रहे सत्येंद्रदास 1958 में अयोध्या आए, तो यहीं के होकर रह गए। उन्होंने बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत अभिरामदास से दीक्षा ली और हनुमानगढ़ी में ही धूनी रमाई।
गुरु ने उन्हें आश्रम के काम-काज में सहयोग के साथ आश्रम से संबंधित देव स्थानों के पूजन-अर्चन का भी दायित्व सौंपा। सत्येंद्रदास इस दायित्व का निर्वहन करते हुए अपनी पढ़ाई-लिखाई भी करते रहे।