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लातों के भूत बातों से नहीं मानने वाले

संपादकीय:प्रवीण दुबे

“ये नया भारत है हम किसी को छेड़ते नहीं और कोई हमें छेड़ता है तो हम उसे छोड़ते नहीं ” चीन हो या पाकिस्तान भारत ने पिछले दस वर्षों में ऊपर लिखी बात को कई बार चरितार्थ किया है बालाकोट एयर स्ट्राइक और डोकलांग संघर्ष इसका बड़ा उदाहरण रहा है।

ऐसा लगता है कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान इस बात को भूल गया है और वह अपने कायराना आतंकवादी हरकतों के द्वारा भारत को पुनः छेड़ने का दुस्साहस लगातार करता दिखाई दे रहा है।
जम्मू-कश्मीर में पिछले 4 दिनों में 3 आतंकी हमले हुए हैं. ये हमले रियासी, कठुआ और डोडा में हुए हैं. इन तीन हमलों में पाकिस्तान के पिट्ठू आतंकियों ने पहली तीर्थ यात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया जिसमें 9 श्रद्धालुओं की जान गई उसके बाद एक घर में गोलियां चलाकर एक नागरिक को मार डाला और तीसरे हमले में डोडा में भारतीय सेना के ऑपरेटिंग बेस पर आतंकियों ने गोलीबारी की.
डोडा के सुदूर इलाके में अस्थायी ऑपरेटिंग बेस (टीओबी) पर आतंकियों ने कई राउंड फायरिंग की. इस हमले में सुरक्षा बल के दो जवान घायल हो गए. इलाज के लिए निकाला गया. सेना और पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में डोडा के चत्तरगला इलाके में आतंकवादियों को घेर लिया गया है और गोलीबारी जारी है. डोडा हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स ने ली है.

भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट के मुताबिक इन हमलों के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंवादियों का हाथ है और यह आतंकवादी सीमा क्षेत्रों में पाकिस्तानी आर्मी द्वारा संचालित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों से भारत में भेजे जा रहे हैं।

यह स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी की पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सीमावर्ती इलाकों में आतंकी शिविरों के संचालित होने के पक्के सबूत सामने आए थे और भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक करके इन आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया था।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन स्थानों पर आतंकी हमलों की वारदातें बढ़ी हैं वहां के पाकिस्तान वाले सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान सेना द्वारा संचालित आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर होने की बात सामने आ रही है बावजूद इसके बालाकोट की तर्ज पर भारत इन्हें नष्ट करने की कार्यवाही में देरी क्यों कर रहा है?
अल्प समय में हुई आतंकी हमलों की घटनाओं के बाद पूरा देश आक्रोशित है भारत में एक स्वर से यह मांग उठ रही है कि भारतीय वायुसेना पाकिस्तान में संचालित आतंकी शिविरों पर एक बार पुनः एयर स्ट्राइक करके तीर्थ यात्रियों की मौत का बदला ले
यह इसलिए भी जरूरी है क्यों कि आने वाले 29 जून से हिंदुओं की पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है इसके पूर्व 15जून से खीर भवानी यात्रा निकलने वाली है।
इस यात्रा में कश्मीरी पंडित बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
पाकिस्तान नहीं चाहता कि कश्मीर में हिंदुओं की धार्मिक गतिविधियां बढ़ें अमरनाथ यात्रा तो दशकों से आतंकवादियों के निशाने पर रही है।
ऐसे हालातों में पाकिस्तान और और उसके पिट्ठू आतंकियों को समाप्त करने के लिए भारत को बड़ा और कड़ा कदम उठाना ही होगा क्यों कि लातों के भूत बातों से नहीं मानने वाले।

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