राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक और राष्ट्रधर्म पत्रिका के पूर्व संपादक वीरेश्वर द्विवेदी का डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (लखनऊ) में निधन हो गया। 78 वर्षीय वीरेश्वर द्विवेदी ने सोमवार शाम पांच बजे अंतिम सांस ली। वह बीते कुछ दिनों से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। उनकी पार्थिव देह मंगलवार सुबह चार बजे पैतृक ग्राम भाल, कानपुर देहात पहुंचाई लाई गई जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
वीरेश्वर द्विवेदी ने दैनिक जागरण कानपुर में उप संपादक के तौर पर पत्रकारिता की शुरुआत की थी। 1972 में पत्रकारिता छोड़कर वह आरएसएस के प्रचारक बने थे। कानपुर देहात के राजपुर क्षेत्र के भाल गांव में 17 अगस्त, 1945 को जन्मे द्विवेदी ने 52 वर्ष तक संघ प्रचारक के दायित्वों का निर्वहन किया।
वह अशोक सिंहल की प्रेरणा से संघ के प्रचारक बने थे। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री व मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे। श्रीराम मंदिर आंदोलन में भी उनकी भूमिका रही। उन्होंने राष्ट्रधर्म, पथसंकेत और हिंदू विश्व पत्रिकाओं का संपादन किया। उनकी संघ नीव में विसर्जित के साथ ही लगभग 30 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
अंग्रेजी विषय में परास्नातक वीरेश्वर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश के संगठन मंत्री और संघ के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के क्षेत्र प्रचार प्रमुख भी रहे। उन्होंने लोकसभा निर्वाचनों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव संयोजक की जिम्मेदारी भी निभाई थी। प्रचारक बनने से पहले वह उरई के डीएवी कालेज के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शोक व्यक्त किया
मोहन भागवत ने अपनी शोक संवेदना में कहा कि अत्यंत दुःखद है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक, जो विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री तथा प्रवक्ता और राष्ट्रधर्म पत्रिका के पूर्व संपादक रहे, श्री वीरेश्वर द्विवेदी जी का निधन हो गया।
स्नेह और चिन्तनशील व्यक्तित्व के धनी श्री वीरेश्वर जी ने एक कर्मठ कार्यकर्ता बनकर संघकार्य में स्वयं को समर्पित कर दिया। उन्होंने संघ और अन्यान्य संगठनों में विविध दायित्वों का सामर्थ्य व लगन से सफलतापूर्वक निर्वहन किया। अध्ययन-लेखन कार्य में विशेष रुचि एवं तज्ञता रखने वाले वीरेश्वर जी व्यक्तियों के प्रति संवेदनशील थे।
वीरेश्वर जी ने राष्ट्र-यज्ञ में अपना सारा जीवन समिधा जैसे अर्पित कर दिया। वीरेश्वर जी के प्रति हम अपना अंतिम प्रणाम निवेदित करते हुए उनसे प्रेरणा पाये असंख्य कार्यकर्ताओं और परिजनों को अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें।
ॐ शान्तिः॥