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वर्चस्व के अंतर्द्वंद में उलझी भाजपा नहीं कर पा रही जिलाध्यक्ष का चयन

प्रवीण दुबे 

भारतीय जनता पार्टी ग्वालियर जिलाध्यक्ष का चयन दिलचस्प मोड़ पर आ खड़ा हुआ है एक तरफ जहां इस पद के लिए जिला स्तर तक निर्धारित प्रक्रिया को पार्टी नें पूरा कार लिया है तो दूसरी और ग्वालियर से जुड़े पार्टी के बड़े क्षत्रपों के बीच वर्चस्व का द्वन्द शुरू हो चुका है। यही वजह है कि पार्टी हाईकमान के सामने जिलाध्यक्ष का चयन कर पाना टेढ़ी खीर साबित हो चला है।

जहां तक अध्यक्ष चयन की संवैधानिक प्रक्रिया का सवाल है पार्टी नें जिला स्तर पर रायशुमारी का काम पूरा कर लिया है इसके अनुसार प्रदेश से मंडल स्तर तक के दायित्ववान लोगों से पांच नाम मांगे गए थे इनमें एक महिला एक पिछड़ा वर्ग सहित कुल 5 नाम शामिल थे। 

लिखने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि गुटबाजी और वर्चस्व की लड़ाई में उलझी भाजपा के लिए अध्यक्ष चयन की संवैधानिक प्रक्रिया महज औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं रह गई लगती  है। 

यही वजह है कि रायशुमारी पूरी होने के कई दिन  बावजूद पार्टी नेतृत्व जिलाध्यक्ष चयन को अंतिम रूप नहीं दे पा रहा है। 

जिस प्रकार की जानकारी सामने आ रही है ग्वालियर जिलाध्यक्ष के चेहरे को लेकर न केवल नरेंद्र तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जयभान सिंह, भारत सिंह जैसे दिग्गज परदे के पीछे से सक्रीय हैं वहीं पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और इस सम्पूर्ण प्रकिया में प्रदेश चुनाव अधिकारी जैसे निरपेक्ष पद पर तैनात  विवेक शेजवलकर की भी रूचि दिखाई देने की खबरें आ रही हैं। 

ये सभी नेता ग्वालियर जिलाध्यक्ष पद पर अपने चहेते चेहरे की ताजपोशी चाहते हैं। क्षत्रपों के इस प्रकार से लाबिंग किए जाने का ही यह परिणाम हैं कि पार्टी नेतृत्व को समझ नहीं आ रहा करें तो क्या करें?

ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र तोमर हार हाल में चाहते हैं कि जिलाध्यक्ष पद पर उनका पट्ठा काबिज हो तो दूसरी ओर जिले में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए जयभान सिंह की व्याकुलता जगजाहिर दिखाई दे रही है।

 सूत्रों का कहना है कि दिल्ली दरबार तक मजबूत धमक रखने वाले नरेंद्र तोमर को नीचा दिखाने के लिए जयभान सिंह ने मुखर विरोधी ज्योतिरादित्य की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है। 

विजयपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में नरेंद्र सिंह समर्थक रामनिवास रावत की हार के बाद  अब उन्हें और कमजोर करने के लिए यह नए समीकरण बनाये जाने की खबरें हैं।

इसके लिए अबतक ग्वालियर जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में कहीं भी नजर नहीं आ रहे चेहरे पूर्व संभागीय संगठनमंत्री शैलेन्द्र बरुआ का नाम उछाल दिया गया है। 

सूत्रों का कहना है क़ि श्री इस नाम को इस कारण सामने लाया गया क्यों क़ि नरेंद्र तोमर द्वारा आगे किए जा रहे नामों की काट सामने आ सके इनमें एक प्रमुख नाम रामेश्वर भदौरिया का है जिसे नरेंद्र तोमर के नजदीकी सांसद भारत सिंह द्वारा आगे लाया गया है यह भी पता लगा है कि उन्हें पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर का भी समर्थन मिल रहा है। ज्योतिरादित्य और जयभान किसी भी कीमत पर नरेंद्र तोमर का वर्चस्व न हो इसी रणनीति के तहत पूर्व संभागीय संगठनमंत्री शैलेन्द्र बरुआ  को सामने लाये हैं  संभागीय संगठन मंत्रियों को शिवराज सरकार में निगम-मंडल में नियुक्त कर मंत्री दर्जा दिया था।

अब कुछ जिलों में ये अध्यक्ष बनना चाहते हैं और पार्टी का एक धड़ा इसका विरोध कर रहा है। 

ये हैं पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की पसंद 

उधर  ग्वालियर जिलाध्यक्ष के चेहरे को लेकर न केवल नरेंद्र तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जयभान सिंह, भारत सिंह विवेक शेजवलकर जैसे क्षत्रप सक्रीय दिखाई दे रहे हैं वहीं सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर का एक नाम ऐसा भी हैं जिसे पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा का नजदीकी माना जाता है यही वजह है कि उनका नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे माना जा रहा है। यह नाम है मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष जयप्रकाश राजौरिया का सूत्रों का कहना है कि वीडी शर्मा के साथ उनकी दोस्ती उस समय से है ज़ब वे विधार्थी परिषद में सक्रीय थे। संगठन का पुराना चेहरा होने के कारण उनके नाम को वजनदार माना जा रहा है।

यह नाम हैं ग्वालियर जिलाध्यक्ष की  दौड़ में 

जयप्रकाश रजौरिया 

विनय जैन 

पारस जैन 

विवेक जोशी 

आशीष अग्रवाल 

रामेश्वर भदौरिया 

शैलेन्द्र बरुआ 

कमल माखीजानी 

राकेश जादौन 

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