Homeप्रमुख खबरेंसत्ता परिवर्तन के बाद मध्यप्रदेश में पनपता अपहरण उद्योग बेकाबू अपराधी

सत्ता परिवर्तन के बाद मध्यप्रदेश में पनपता अपहरण उद्योग बेकाबू अपराधी

                    राकेश अचल

मध्यप्रदेश के चित्रकूट से एक तेल व्यापारी के जुड़वां बच्चों का दिन-दहाड़े अपहरण प्रदेश की पुलिस और क़ानून-व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है .प्रदेश की पुलिस ने बड़ी मुश्किल से प्रदेश को दस्यु समस्या के अभिशाप से मुक्ति दिलाई थी लेकिन इस ताजा वारदात ने आशंका के नए बीज अंकुरित कर दिए हैं .

मध्यप्रदेश का ग्वालियर-चंबल अंचल ही नहीं बुंदेलखंड इलाका भी दशकों तक दस्यु समस्या से आतंकित रहा है ,लेकिन पुलिस के समन्वित प्रयासों और तकनीक के विकास ने 2006  में इस समस्या को समूल नष्ट करने में कामयाबी हासिल कर ली थी ,लेकिन ताजा वारदात से लगता है की अब भी इस अभिशाप के कुछ बीज छिपे रह गए थे .बच्चों के अपहरणकर्ता बदमाश संगठित गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं,पुलिस की जबाबदेही है की वो बच्चों को बदमाशों के चंगुल से न केवल रिहा कराये बल्कि गिरोह का भी खात्मा करे .

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अपहरण की इस पहली सनसनीखेज वारदात से लोगों में सिहरन है. प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पुलिस महानिदेशक के लिए ये वारदात किसी चुनौती से कम नहीं हैं .चुनौती इसलिए है क्योंकि आम चुनाव की बेला में ये वारदात सियासी मुद्दा भी बन सकता है ,पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस वारदात को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ से भेंट भी की है .

प्रदेश में बुंदेलखंड और ग्वालियर -चंबल में अब डाकू गिरोहों का उन्मूलन भले  ही होगया हो किन्तु नए किस्म के अपराध भी पनपने लगे हैं. पिछले महीने मालवा में एक व्यापारी की हत्या और ग्वालियर -चंबल में पुलिस पार्टी पर हमले अपराध की नयी प्रवृत्ति के प्रमाण हैं .बीहड़ के बाग़ी अब रेत के तस्कर बन गए हैं,ये इतने निडर हैं की पुलिस पार्टी पर भी हमला करने से नहीं चूकते ..

अपहरण की वारदातें पुलिस के साथ ही प्रदेश के औद्योगिक वातावरण को भी प्रभावित करतीं हैं,इस तरह की वारदातों से प्रदेश में बाहर से पूँजी निवेश का मन बना रहे लोग हतोत्साहित होते हैं ,इसलिए जरूरी है की इस समस्या को समय रहते समूल नष्ट कर दिया जाये .प्रदेश पुलिस की कमान एक जिम्मेदार अधिकारी के हाथों में है इसलिए ये अपेक्षा की जा सकती है की इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई की जाएगी .

पुलिस के पास अब तकनीक भी है और नया पुलिस बल भी इसलिए प्रदेश की क़ानून और व्यवस्था को बनाये रखने में कोई कठिनाई नहीं आना चाहिए.अपराधियों के मनोविज्ञान को समझकर यदि सामयिक कार्रवाई हो जाये तो कोई कारण नहीं की प्रदेश की आवो-हवा फिर से खराब हो .पुलिस को चाहिए की प्रदेश के औद्योगिक और पर्यटन महत्व के इलाके पूरी तरह से निरापद रहें,क्योंकि प्रदेश की पहहचान और समृद्धि इन्हीं दो क्षेत्रों से जुड़ी है .

प्रदेश में अब दस्यु समस्या अतीत का विषय है और इसे अतीत में ही सिमिटाये रखने के लिए लगातार सतर्कता बेहद आवश्यक है ,.हमारा तजुर्बा रहा है की जब-जब पुलिस शिथिल हुई है तब-तब अपराधियों ने सर उठाया है .पुराने अनुभवों को देखते हुए यदि पुलिस की रणनीति बनाई जाएगी तो अपराधी काबू में रहेंगे ही .पुलिस को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए की-‘जब-जब निजाम बदलता है ,अपराधियों की गतिविधियां भी बदलती हैं .

.@ राकेश अचल

 

 

 

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