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सिंधिया पहुंचे पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के निवास पिता को अर्पित की श्रद्धांजलि,35 मिनट हुई गुफ्तगू

ग्वालियर चंबल के इतिहास में दो कट्टर सियासी विरोधियों के बीच शुक्रवार को अहम मुलाकात खासी चर्चा में है एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के घर राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया शाम 4 बजे मुलाकात करने पहुंचे. सिंधिया जय भान सिंह पवैया के पिता के निधन पर शौक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे, श्री सिंधिया लगभग 35 मिनट तक वहां रुके और राजमाता जी के समय से उनके योगदान सहित घर परिवार से जुड़ी बातें साझा कीं

 

ग्वालियर के दो दिवसीय दौरे पर आए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 4 बजे पूर्वमंत्री जय भान सिंह पवैया के घर पहुंचे इस मुलाकात को लेकर सुबह से ही चर्चाओं का बाजार सरगर्म था।सिंधिया बेहद संजीदा ढंग से पवैया के यहां पहुंचे और उनके पिता के फोटो पर अपनी पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान मीडिया का अच्छा खासा मजमा जुटा हुआ था। फोटोसेशन के बाद श्री सिंधिया ने आग्रह पूर्वक मीडिया से बाहर जाने को कहा उनका कहना था की वे अकेले में बात करना चाहते हैं। श्री पवैया ने इस दौरान श्री सिंधिया का अल्पाहार के साथ औपचारिक स्वागत किया व दोनों नेताओं ने 35 मिनट तक गुफ्तगू की उनके बीच क्या बातचीत हुई इसका खुलासा तो नहीं हो सका लेकिन दोनों ही नेताओं ने राजमाता जी के समय से उनके संगठन को योगदान व विहिप से उनके लगाव और घर परिवार से जुड़ी बातें कीं। चर्चा के बाद दोनों नेता कुछ देर के लिए मीडिया से भी मुखातिब हुए।

उधर श्री सिंधिया की श्री पवैया से होने वाली यह मुलाकात ग्वालियर चंबल की सियासत में चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल पवैया के पिता बलवंत सिंह पवैया का 20 अप्रैल को निधन हुआ था. एक ही पार्टी में होने के नाते सिंधिया शोक जताने के लिए भगत सिंह नगर स्थित पवैया के बंगले पहुंचे उधर मुलाकात को लेकर  सिंधिया के कट्टर समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि सिंधिया परिवार और जय भान सिंह पवैया के बीच राजनीतिक मतभिन्नता रही, लेकिन व्यक्तिगत मतभिन्नता नहीं थी. अब दोनों एक ही पार्टी में हैं. ऐसे में राजनीतिक मतभिन्नता भी खत्म हो गई है.

बता दें, जयभान सिंह पवैया और सिंधिया परिवार के बीच सियासी अदावत पिछले 23 साल से चली आ रही है. सन 1998 में जय भान सिंह पवैया ने कांग्रेस नेता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के खिलाफ ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में सिंधिया और पवैया के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. माधवराव सिंधिया 28 हज़ार वोट से इस चुनाव को जीते थे. माधवराव सिंधिया ने इस बेहद मामूली जीत के बाद नाराज़ होकर आगे ग्वालियर से चुनाव नहीं लड़ा. उसके बाद माधवराव सिंधिया गुना चले गए.

माधवराव के बाद पवैया और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच भी यह सियासी अदावत जारी रही. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जयभान सिंह पवैया ने भाजपा से चुनाव लड़ा. यहां भी कांटे का मुकाबला हुआ. चार लाख से जीतने वाले सिंधिया की जीत एक लाख बीस हज़ार पर सिमट गई थी.

राजमाता के करीब रहे पवैया

जयभान सिंह पवैया की माधवराव से अदावत रही. लेकिन, पवैया राजमाता विजयाराजे सिंधिया के करीब रहे हैं. पवैया स्वर्गीय राजमाता से जनसंघ से लेकर भाजपा तक  सम्पर्क में रहे. बजरंगदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के दौरान  बाबरी आंदोलन में अगुआ रहे. हालांकि, यशोधरा राजे सिंधिया और पवैया दोनों के बीच भी सियासी रिश्ते सामान्य रहे हैं.

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