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सूर्यग्रहण के कारण बन्द हुए मन्दिरों के कपाट कुछ मिनटों बाद शुरू होगी यह खगोलीय घटना

साल का पहला सूर्य ग्रहण आज, रविवार (21 जून 2020) को सुबह 10:00 बजे से शुरू होने जा रहा है और दोपहर बाद 03:04 बजे तक रहेगा। ग्रहण की वजह से पूरे देश की तरह ग्वालियर अंचल में भी मन्दिरों के पट बन्द कर दिए गए हैं। ग्वालियर के प्रसिद्ध अचलेश्वर मन्दिर खेड़ापति मन्दिर सूर्यमन्दिर के अलावा अंचल के दतिया का प्रसिद्ध पीताम्बरा पीठ में भी ग्रहण के प्रभाव  व सूतक काल में पट बन्द हैं । उदर स ग्रहण को लेकर सुबह से ही लोगों में उत्साह है इसके ज्योतिषीय प्रभाव पर लोग बातचीत करते देखे जा रहे हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ग्रहण को नंगी आंखों से देखने को मना किया गया है। इससे सीधे आंखों के रेटीना र दुष्प्रभाव पड़ता है। जानकारी के अनुसार ग्रहण का मध्य 12:10 के आसपास रहेगा में जिसमें सूर्य एक वलय/फायर रिंग/चूड़ामणि के रूप में नजर आएगा। इस ग्रहण केे शुरू होने का आदर्श समय 09:15AM है लेकिन लोग इसे 10:00AM के बारद ही देख सकेगे। 21 जून यानी कल रविवार को पड़ने वाले ग्रहण का सूतक काल 10:00PM से शुरू हो चुका है। हिन्दू/सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोग सूतक काल मानते हैं। इस दौरान पूजा घर और मंदिरों के पट बंद रहते हैं। लोग ग्रहण सूतककाल से पहले ही अपने देवी देवताओं की पूजा करके उनके पट/गेट बंद कर देते हैं। इसके बाद ग्रहण सूतककाल समाप्त होने पर लोग फिर मंदिर और पूजा घरों को खोलते हैं, मूर्तियों में गंगाजल छिड़कर उन्हें पवित्र करते हैँ और विधिवित पूजा पाठ पहले की तरह शुरू करते हैं।

क्या है ग्रहण सूतककाल?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, किसी भी पूर्ण ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले का समय सूतककाल कहलाता है। मान्यता है कि इस दौरान मंदिरों में पूजा पाठ या कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। सूतककाल समाप्त होने के बाद ही मंदिर खुलते हैं और लोग पूजा अनुष्ठान शुरू करते हैं।

6 घंटे लंबा होगा ग्रहणकाल-
21 जून को सुबह 9:15 बजे ग्रहण शुरू हो जाएगा और 12:10 बजे दोपहर में पूर्ण ग्रहण दिखेगा। इस दौरान कुछ देर के लिए हल्क अंधेरा सा छा जाएगा। इसके बाद 03:04 बजे ग्रहण समाप्त होगा। यानी यह ग्रहण करीब 6 घंटे लंबा होगा। लंबे ग्रहण की वजह से पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है।
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