कहा जो सोने की भांति चमकती है, वह है कन्या
भारतीय विचार संस्थान न्यास की ओर से आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में पहले दिन ‘राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका’ पर वक्तव्य
सोमवार को ‘भारत, कल, आज और कल’ विषय पर होंगे वक्तव्य
भोपाल। हमारे यहां पंचकन्या हैं– अहिल्या, द्रौपदी, तारा, कुंती और मंदोदरी, जिनका हम सदैव स्मरण करते हैं। जो कनक (सोने) की तरह बार–बार चमकती है, वह कन्या है। समाज में बहुत सारे भ्रम फैले हुए हैं, उन्हें दूर करने की आवश्यकता है। इन पंच कन्याओं के बारे से ठीक से पढ़ेंगे तो बहुत से भ्रम दूर हो जाएंगे। यह बात पद्मविभूषित प्रख्यात नृत्यांगना एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सोनल मानसिंह ने ‘राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका’ विषय पर व्यक्त किए। वे भारतीय विचार संस्थान न्यास की ओर से रवींद्र भवन, भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में पहले दिन मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुईं। कार्यक्रम की अध्यक्षता अन्तर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना अनुराधा सिंह ने की। इस अवसर पर मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडेय भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ. सोनल मानसिंह ने कहा कि रानी दुर्गावती, रानी चेन्नमा, रानी लक्ष्मीबाई सहित अनेक वीरांगनाओं के उदाहरण देकर उनके योगदान की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने चंद्रयान और मंगलयान में महिला वैज्ञानिकों की भूमिका का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत की बेटियां आज थलसेना, जलसेना और वायुसेना में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
स्त्री की अलग-अलग भूमिकाएं होती हैं, जिनमें उनके अलग–अलग दायित्व हैं। महिला दिवस जैसी अवधारणा पश्चिम का विचार है। हमारे यहां तो वर्ष के सभी 365 दिन मातृशक्ति को समर्पित हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी माता के संबंधों का उल्लेख किया। उन्हों कहा कि हमारे प्रधानमंत्री मातृशक्ति के सम्मान को प्रत्येक अवसर पर स्थापित करते हैं।
बच्चों को गर्व से ही संस्कार देती है मां:
माता सबसे पहली गुरु है जो अपने उदर से ही शिशु को संस्कार देती है। माता जो सोचती और विचार करती है, उसके आधार पर बच्चे का संस्कार बनता है। यही कारण है कि हमारी संस्कृति में गर्भ संस्कार का विधान है। बच्चों को संस्कार देना माता के साथ–साथ पिता का भी दायित्व है।
प्रकृति देती है अधिकार
प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह ने संसद में पारित किए गए ‘मातृशक्ति वंदन विधेयक’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मैं स्त्री आधे से अधिक हूं लेकिन अधिकार से वंचित हूं। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या पुरुष अधिकार देने का अधिकारी है? उन्होंने कहा कि अधिकार स्वयं अर्जित है। प्रकृति ने हमें दिया है। हमारी जो पृथ्वी है वह एक परिवार की तरह है, जिसमें सम्पूर्ण प्रकृति है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का यह उदात्त विचार भारतीय संस्कृति ने दिया है। पृथ्वी ऐश्वर्य से परिपूर्ण है। पृथ्वी स्त्री शक्ति को दर्शाती है। ब्रह्मांड के ज्यादातर ग्रह एवं उपग्रहों के नाम भी स्त्री के आधार पर हैं। उन्होंने कहा कि हमें सबसे पहले स्वधर्म को जानना पड़ेगा।
अपने बच्चों को सुनाएं वीरांगनाओं की कहानियां : अनुराधा सिंह
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अंतरराष्ट्रीय कथक नृत्यांगना अनुराधा सिंह ने कहा कि हमारे बच्चों को वीरांगनाओं के पराक्रम की कहानियां सुनानी चाहिए ताकि मातृशक्ति के प्रति उनके मन में गौरव के भाव का जन्म ले। महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान से बच्चों को परिचित कराया जाए तो वे आगे चल कर महिलाओं के काम की सराहना करेंगे। उन्होंने कहा कि पुरुषों को आगे बढ़कर महिलाओं को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग करना चाहिए। उन्होंने ने यह भी कहा कि मातृशक्ति को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों में क्या हुनर है, उसी के अनुरूप उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। हम अपनी आनेवाली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के मूल्य भी सिखाएं। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे। हमें अपनी विधा में सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अपने हुनर को आगे बढ़ाने के क्रम में हम अपन परिवार को भी साथ लेकर चलें। हम परिवार को संभालकर चलेंगे तो हर परिस्थिति में परिवार हमारे साथ खड़ा रहेगा, जो हमारा साहस बनेगा।
पुस्तक का विमोचन
इस अवसर पर महिलाओं की विभिन्न भूमिकाओं पर केंद्रित पुस्तक ‘मातृशक्ति’ का विमोचन किया गया। पुस्तक का लेखन सुशीला अभ्यंकर एवं डॉ. गीता काटे ने किया है। यह पुस्तक अर्चना प्रकाशन, भोपाल से प्रकाशित है।
सोमवार को मेजर गौरव आर्य का ‘भारत, कल, आज और कल’ विषय पर व्याख्यान
व्याख्यानमाला में दूसरे दिन यानी 18 दिसंबर को चाणक्य फोरम, दिल्ली के प्रधान संपादक एवं सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य ‘भारत, कल, आज और कल’ विषय पर वक्तव्य देंगे। अध्यक्षता रिलायंस इंडस्ट्रीज के मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के राज्य समन्वयक नितिन चंदसोरिया करेंगे। कार्यक्रम का आयोजन रविन्द्र भवन शाम 5:30 बजे से होगा।