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स्मृति शेष : जीवन पर्यन्त हनुमत साधना में लीन भक्ति दीप का स्वर्गारोहण

प्रवीण दुबे

कहा जाता है वे लोग बड़भागी होते हैं प्रभु जिन्हे अपनी सेवा और भक्ति का सौभाग्य प्रदान करता है,बिना प्रभु इच्छा के यह संभव नहीं कि कोई संत,महंत या मंदिर का पुजारी बन जाए आज देवलोक गमन करने वाले मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के महंत पंडित गोपाल द्विवेदी को हनुमान जी ने यह सौभाग्य प्रदान किया था,सरकारी नौकरी में होने के बावजूद महंत दुबेजी हनुमानजी की भक्ति में ऐसे रमे थे कि उन्होंने अपनी दिनचर्या का अधिकांश समय हनुमान जी की सेवा को समर्पित कर दिया था ,क्या दिन और क्या रात पूज्य दुबे जी जब तक जिए उनके जीवन से भक्ति रस की गंगा सदैव प्रवाहित होती रही।

आज पड़ाव पुल के नीचे स्थित श्री मंशापूर्ण हनुमान मंदिर का जो भव्य स्वरूप हमें दिखाई देता है हनुमानजी की कृपापत्र दुबे जी के भक्तिमय जीवन का इसमें बहुत बड़ा योगदान कहा जा सकता है। इसे उनके ऊपर हनुमानजी की कृपा और आशीर्वाद का परिणाम ही कहा जाएगा कि मंदिर पर विशाल धार्मिक आयोजनों से लेकर हजारों लोगों के भंडारे तक और लगभग तीन दशक से बिना रुके अखंड जारी रामायण पाठ सदैव चलता रहा और अंतिम सांस तक पूज्य दुबेजी उसकी चिंता करते रहे। उनपर हनुमानजी की इतनी कृपा रही कि जिसे हवन का भभूत और पवित्र जल दिया स्वस्थ्य हो गया संकट टालने हनुमानजी की भक्ति का सदमार्ग दिखाया हनुमत कृपा से उसके संकट टल गए। यह पूज्य दुबे जी की साधना और भक्ति का ही परिणाम था कि प्रसिद्ध संत अवधेशा नंद महाराज से लेकर अनेक संत महंत श्री मंशापूर्ण हनुमानजी के मंदिर में दर्शन को खिंचे चले आते थे ग्वालियर अंचल ही नहीं पूरे देश से हजारों लोग पूज्य दुबेजी की प्रेरणा से मंशापूर्ण हनुमान मंदिर से जुड़े आज उनके अचानक स्वर्गारोहण से सभी दुखी हैं द्रवित हैं हनुमानजी अपने श्री चरणों में अपने परमभक्त महंत दुबे जी की आत्मा को सदगति प्रदान करें यही प्रार्थना है। ॐ शांतिः ।
Praveen dubey@shabd shakti news

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