ग्वालियर/भारतीय इतिहास को वामपंथी विचारों के इतिहासकारों ने कितना ही विकृत करने का षडयंत्र किया हो लेकिन भारतीय जनमानस आज भी अकबर को नहीं महाराणा प्रताप को ही महान मानता है ,उसकी श्रध्दा का केंद्र और कोई नहीं भगत सिंह,चंद्रशेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस ही हैं । यह बात प्रसिद्ध लेखक विचारक व साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठनमंत्री श्रीधर पराड़कर ने ग्वालियर के राष्ट्रोत्थान न्यास विवेकानंद सभागार में स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रज्ञा विमर्श मध्यभारत द्वारा “मध्यभारत में स्वतंत्रता संग्राम” पुस्तक का विमोचन एवं स्वतंत्रता सैनानियों के वंशजों का सम्मान कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यवक्ता के रूप में बोलते हुए कही।इस अवसर पर पुस्तक के लेखक डॉ ईश्वरचन्द्र करकरे व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार डॉ सुरेश सम्राट मंचासीन थे।
श्री पराडकर ने कहा कि वर्तमान में देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। यह समय आज देश को यह बताने का है कि स्वतंत्रता के इतिहास को किस प्रकार विकृत किया गया बावजूद उसके देश के जनमानस ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि कोई भी षडयंत्र तब तक कामयाब नहीं होता जब तक कि उस देश का समाज जागृत रहता
है इस दृष्टि से भारत का जनमानस बेहद जागरूक है यही वजह है कि उसने कभी भी विकृत इतिहास की बातों को स्वीकृति नहीं दी उसकी श्रध्दा के केंद्र में सदैव वे ही क्रांतिकारी रहे जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया। श्री पराड़कर ने डॉ ईश्वरचन्द्र करकरे द्वारा लिखी पुस्तक “मध्यभारत में स्वतंत्रता संग्राम” की
तारीफ करते हुए कहा कि किसी भी इतिहास की जानकारी बिना प्रमाण के अधूरी होती है। डॉ करकरे ने अपनी पुस्तक में जो कुछ दिया है वह प्रमाण और तथ्य परख है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार डॉ सुरेश सम्राट ने कहा कि स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री मोदी ने जो आव्हान किया था उसकी शुरुआत में डॉ करकरे की पुस्तक का विमोचन बहुत अभिनव प्रयास है। उन्होंने इस कार्यक्रम में क्रांतिकारियों बलिदानियों के परिवारजनों के सम्मान की भी सराहना की । डॉ सम्राट ने कहा की प्रधानमंत्री मोदी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की शुरुआत करने की घोषणा करके वह कर दिखाया है जो आजादी के 75 वर्षों में किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया इसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं। डॉ सम्राट ने कहा की विभाजन के बाद जब वे छात्र थे उससे त्रस्त लोगों के संघर्ष को उन्होंने देखा है उनका संघर्ष अदभुत था ब इसपर भी अलग से कार्यक्रम किये जायें तो बहुत प्रेरणादायक हो सकते हैं।
इससे पूर्व अथितियों ने भारतमाता के चित्र का पूजन व 75 दीप प्रज्वलित करके वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत की। कार्यक्रम में वीर शहीदों क्रांतिकारियों के परिजनों श्री चंद्रकांत नेवालकर ,श्री लक्ष्मण भागवत , श्री विजेंद्र सिंह कुशवाह ,श्री राकेश शर्मा, श्री अभय पापरीकर का सम्मान और डॉ करकरे की पुस्तक “मध्यभारत में स्वतंत्रता संग्राम” का विमोचन किया गया। अथितियों का स्वागत प्रज्ञा विमर्श के विभाग संयोजक दिनेश चाकणकर, अजय जैन ने किया।
संचालन डॉक्टर रामकिशोर उपाध्याय ने तथा आभार प्रवीण दुबे ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र व्यवस्था प्रमुख श्री सुरेश जैन, प्रांत प्रचार प्रमुख श्री ओमप्रकाश सिसौदिया, डॉ.निशांत शर्मा डॉ.समीर गोखले, राजकिशोर वाजपेई,चंद्रप्रताप सिंह सिकरवार, रविंद्र जगताप, ओपी दीक्षित, निशिकांत मोघे,राममोहन वर्मा सहित अनेक बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
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