ग्वालियर /स्वाधीनता का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान (आईआईटीटीएम) में वर्ष भर होने वाले आयोजन को लेकर बीते रोज़ ऑडिटोरियम में आज़ादी का अमृत महोत्सव के जारी उत्सव में आईआईटीटीएम द्वारा मध्य भारतीय इतिहास अनुसंधान प्रतिष्ठान एवं ग्वालियर साहित्य संस्थान के सहयोग से पंडित रुद्रदत्त मिश्र की 115वीं जयंती के अवसर पर ‘पंडित रुद्रदत्त मिश्र के साहित्यिक अवदान का अनुशीलन’ एवं ‘गीत रामायण गायन’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजा मानसिंह संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. साहित्य कुमार नाहर, विशिष्ट अतिथि प्रसिद्द साहित्यकार श्री भगवानदास चैतन्य एवं कमलाराजा कन्या महाविद्यालय के हिंदी एवं उर्दू विभाग अध्यक्ष के साथ संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) आलोक शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे।
आयोजन में गीत रामायण की प्रस्तुति अभय मानके द्वारा वर्चुअल माध्यम से की गई। गीत रामायण एक मराठी भाषा की संगीत कविता है। इसकी रचना मराठी कवि गजानन दिगंबर मद गोलकर ने की थी और इसकी लोकप्रियता को देखते हुए इसे देश की 37 भाषाओं में अनुवाद और गाया जा चुका है। रामायण गीत के हिंदी अनुवाद का श्रेय ग्वालियर के पंडित रुद्र दत्त मिश्र को जाता है।
अभय मानके ने देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर हिंदी में रामायण के गीत गाए हैं। मानके का मुख्य परिचय रामायण गीत के विशेष प्रस्तुतकर्ता के रूप में है। देश-विदेश में अब तक मराठी और हिंदी गीतों रामायण के 3,556 कार्यक्रम पूरे हो चुके हैं जिनमें विश्व रामायण सम्मेलन मॉरीशस रामायण केंद्र प्रमुख है। उन्होंने राग मंड में ‘राम जन्म’, राग बिहाग में ‘सीता स्वयंवर’,, मिश्रित रागों में ‘राज्याभिषेक’ आदि प्रस्तुत किया। प्रस्तुति में अमृता मानके सह-गायिका भी साथ थीं।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों द्वारा पंडित रुद्रदत्त मिश्र के हिंदी साहित्य में विशिष्ट व महत्वपूर्ण योगदान को बताया गया और उनके द्वारा अनुवादित एवं रचित रचनाओं पर प्रकाश डाला गया जिसमें उनके द्वारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश प्रेम और देश भक्ति के लिए लिखी गयी रचनाओं का वर्णन भी दिया गया।
इस अवसर पर संस्थान की तरफ से नोडल अधिकारी डॉ. चंद्र शेखर बरुआ, डॉ. सौरभ दीक्षित, डॉ. रविंदर डोगरा, श्री विशाल केशरी, फैकल्टी सदस्य, तकनीकी टीम, अन्य अधिकारीगण एवं प्रेस व मीडिया से पधारे पत्रकारगण मौजूद रहे।