प्रवीण दुबे
बीजेपी की पहली लिस्ट में गुना लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद केपी यादव का टिकट काटकर 2020 में कांग्रेस से बीजेपी में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनावी मैदान में उतारा गया है. सिंधिया के दलबदल के बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि अब केपी यादव का पत्ता कट सकता है. हुआ भी वही अब राजनीतिक गलियारों में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि ओबीसी वर्ग को पटाने के लिए सारे हथकंडे अपनाने वाली बीजेपी ने आखिर पिछले लोकसभा के विजेता रहे एक ओबीसी नेता का टिकट आखिर क्यों काट दिया ? यह बात भी जोर शोर से उठ रही है कि जिसका टिकिट काटा गया है उसने जिस नेता अर्थात ज्योतिरादित्य सिंधिया को पटखनी दी थी अब पाला बदलकर बीजेपी में आने के बाद उन्ही हारे हुए नेता को उसी लोकसभा से कैंडीडेट बनाकर आखिर भाजपा नेतृत्व क्या संदेश देना चाहता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के टिकिट पर गुना से ही चुनाव लडे थे और उस समय केपी यादव ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में श्री सिंधिया को हरा दिया था। उसके बाद 2020 में सिंधिया ने भाजपा ज्वाइन कर ली और इस बार केपी यादव का टिकिट काट कर बीजेपी ने श्री सिंधिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
पहले यह माना जा रहा था की पार्टी नेतृत्व श्री सिंधिया को उनके गृह नगर की ग्वालियर लोकसभा से टिकिट देगी और पिछला चुनाव पार्टी से जीते के पी यादव को एक बार पुनः गुना से ही मैदान में उतारा जाएगा। लेकिन पार्टी ने उनका टिकिट काट दिया। आश्चर्य की बात यह है कि भाजपा ने ग्वालियर से भी पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके भारत सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है। पार्टी यदि चाहती तो यहां से सिंधिया को मैदान में उतारकर पार्टी की जीत पक्की कर सकती थी।