मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां जन्माष्टमी पर भगवान राधा-कृष्ण को बेशकीमती गहने पहनाए जाते हैं. ये सिंधिया रियासत के सैकड़ों साल पुराने कीमती गहने हैं. इन पर मोतियों की जगह हीरे, पन्ना, माणिक, पुखराज, नीलम लगे हैं. इनकी कीमत वर्तमान में 100 करोड़ रुपए (एक अरब) के लगभग बताई जाती है. इनमें सोने का मुकुट, हीरे का हार, पन्ना जड़ित गहने हैं. इनकी सुरक्षा भी किसी किले की सुरक्षा की तरह होती है. इन बेशकीमती जेवरातों को बैंक लॉकर से मंदिर लाने और अगले दिन पूरी गणना कर बैंक तक वापस पहुंचाने के दौरान करीब 100 जवानों की सुरक्षा रहती है.
सिंधिया राजवंश ने फूलबाग में गोपाल मंदिर का निर्माण कराया था. 1921 में सिंधिया रियासत के तत्कालीन महाराज माधौराव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. भगवान राधा कृष्ण के लिए सिंधिया राजाओं ने गहने बनवाए थे. आजादी के पहले तक इस मंदिर की देख-रेख सिंधिया रियासत के लोग करते थे. आजादी के बाद सिंधिया राजवंश ने ये गहने भारत सरकार को सौंप दिए थे. नगर निगम ने इन गहनों को बैंक लॉकर में रखवा दिया था. साल 2007 से राधाकृष्ण का श्रृंगार फिर होने लगा.
मंदिर से जुड़े लोग बताते है कि सिंधिया राज घराना ही मंदिर की देख-रेख करवाता था. आजादी के समय ये बेशकीमती गहने भारत सरकार के सुपुर्द कर मंदिर को उन्हें सौंप दिया गया था. उसके बाद इन गहनों, मुकुट पर किसी का ध्यान ही नहीं गया, लेकिन साल 2007 में नगर निगम आयुक्त पवन शर्मा को निगम की इस संपत्ति के बारे में पता लगा. जिस पर उन्होंने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं का इन गहनों से शृंगार कराने की परंपरा शुरू कराई. राधा-कृष्ण 100 करोड़ से ज्यादा के गहने पहनते हैं. लिहाजा यहां कड़ी सुरक्षा रहती है.
गोपाल मंदिर पर भव्य जन्माष्टमी महोत्सव आज
श्री राधा-कृष्ण भगवान सजेगें करोडों के गहनों से
निगम ग्वालियर द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्ठमी महोत्सव फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर पर 7 सितम्बर 2023 को बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस महोत्सव की तैयारियों को लेकर निगमायुक्त श्री हर्ष सिंह द्वारा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।
मनोहारी होगा भगवान राधा कृष्ण का श्रंगार
राधाकृष्ण के श्रृंगार में नगर निगम द्वारा बैंक लॉकर में संचित करोड़ों रू. कीमत के गहने उपयोग किये जायेंगे जिसमें सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार लगभग ढाई लाख कीमत का, सात लढ़ी हार जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने होंगे। सन् 2007 मंे इनकी अनुमानित कीमत लगभग 8 से 10 लाख रू. आंकी गई थी, इसके अलावा सोने के तोड़े तथा सोने का मुकुट कृष्ण पहनेंगे जिनकी कीमत भी लगभग 20 लाख रू. है। गोपाल मंदिर की राधाजी का ऐतिहासिक मुकुट जिसमें पुखराज और माणिक जणित के पंख है तथा बीच में पन्ना लगा है, तीन किलो वजन के इस मुकुट की कीमत आज की दरों पर लगभग 80 से 90 लाख के बीच आंकी गई है तथा इसमे लगे 16 ग्राम पन्ने की कीमत लगभग 6,46,000/- आंकी गई।
राधाकृष्ण के नकसिक श्रृंगार के लिये लगभग साढ़े पांच लाख रू. के जेबर उपलब्ध हैं जिनमें श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कण्ठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि से भगवान को सजाया जायेगा। भगवान के भोजन इत्यादि के लिये भी प्राचीन बर्तनों की सफाई कर इस दिन भगवान का भोग लगाया जावेगा। लगभग 25 लाख रू. कीमत के चांदी के विभिन्न बर्तनों से भगवान का भोग अराधना होगी। जिनमें भगवान की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि सामग्रियों का भी कल प्रदर्षन किया जावेगा।