भारतीय शास्त्रीय संगीत का शीर्षस्थ महोत्सव विश्व संगीत समागम “तानसेन समारोह” का 24 दिसम्बर को होगा पारंपरिक व औपचारिक शुभारंभ
ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक ऐतिहासिक राजा मानसिंह महल की थीम पर बने भव्य मंच पर बैठकर सुर सम्राट को स्वरांजलि अर्पित करेंगे
10 संगीत सभाएँ सजेंगी
ग्वालियर/ संगीतधानी ग्वालियर की फिजा अगले पाँच दिनों तक सुर, ताल व राग की बारिश में सराबोर रहेगी। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव एवं विश्व संगीत समागम “राष्ट्रीय तानसेन समारोह” संगीत की नगरी ग्वालियर में 24 दिसम्बर से शुरू होकर 28 दिसम्बर तक आयोजित होगा। विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में देश और दुनिया के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में ऐतिहासिक राजा मानसिंह महल की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर बैठकर संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।
तानसेन समारोह की पारंपरिक शुरूआत रविवार 24 दिसम्बर को प्रात: 10 बजे तानसेन समाधि पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद वाचन, चादरपोशी व कब्बाली गायन के साथ होगी। समारोह का औपचारिक भव्य शुभारंभ सायंकाल 7 बजे आयोजित होगा। राज्य शासन के संस्कृति विभाग के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी द्वारा हर साल जिला प्रशासन व नगर निगम के सहयोग से तानसेन समारोह का आयोजन किया जाता है।
तानसेन समारोह के तहत 24 दिसम्बर को सायंकाल सजने जा रही पहली संगीत सभा में इस साल तानसेन अलंकरण से विभूषित होने जा रहे पं. गणपति भट्ट हासणगि धारवाड़ का गायन होगा। डॉ. गणपति भट्ट को 25 दिसम्बर को सायंकाल भव्य अलंकरण समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा इस साल के तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया जायेगा।
हरिकथा व मिलाद गायन से होगा पारंपरिक शुभारंभ
गान महर्षि तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले “तानसेन समारोह” के अपने अलग ही रंग हैं । समारोह के शुभारंभ दिवस को प्रात: काल में तानसेन की समाधि पर सामाजिक समरसता के सजीव दर्शन होते हैं । इस बार भी 24 दिसम्बर को प्रात: काल 10 बजे पारंपरिक रूप से शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा, मिलाद व कब्बाली गायन के साथ “तानसेन समारोह” का पारंपरिक शुभारंभ होगा। इस अवसर पर मोहम्मद गौस एवं संगीत सम्राट तानसेन की मजार पर पारंपरिक रूप से चादरपोशी भी होगी।
10 संगीत सभाएँ होंगीं
तानसेन समारोह में 10 संगीत सभाएं होंगी। पहली सभा 24 दिसंबर को सायंकाल आयोजित होगी। इसके बाद हर दिन प्रातः एवं सायंकालीन सभाएं होंगी। समारोह के तहत 27 दिसम्बर को तानसेन समाधि स्थल के साथ मुरैना जिले के स्रपुसिद्ध बटेश्वर मंदिर परिसर में भी समानांतर रूप से संगीत सभा सजेगी। 28 दिसंबर को प्रातःकालीन सभा तानसेन की जन्मस्थली बेहट में और इस साल के समारोह की अंतिम संगीत सभा सायंकाल गूजरी महल परिसर में सजेगी। अंतिम सभा महिला कलाकारों पर केंद्रित रहेगी।
देश एवं विदेश से जाने-माने ब्रम्हनाद के साधक आयेंगे गान मनीषी तानसेन को स्वरांजलि देने
सायंकालीन सभा 24 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल
सभा का शुभारंभ पारंपरिक रूप से शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में तानसेन सम्मान से विभूषित कलाकार पं. गणपति भट्ट हासणगि धारवाड़ का गायन होगा। इस सभा में ग्वालियर के ख्यातिनाम गायक श्री यखलेश बघेल का ध्रुपद गायन, पद्मश्री एन राजम एवं सुश्री संगीता शंकर (वाराणसी), मुम्बई की वायोलिन जुगलबंदी और सुविख्यात शास्त्रीय गायक श्री निर्मल्य डे दिल्ली के ध्रुपद गायन की प्रस्तुति होगी।
प्रात:कालीन सभा 25 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल
इस सभा का शुभारंभ राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। सभा में श्री सुमित आनंद दिल्ली का ध्रुपद गायन, श्री ईशान घोष मुम्बई का तबला वादन, श्रीमती मधुमिता भट्टाचार्य उपाध्याय वाराणसी का गायन और उस्ताद लतीफ खाँ मुम्बई व उस्ताद सरवर हुसैन कोलकता की सारंगी जुगलबंदी की प्रस्तुति होगी।
सायंकालीन सभा 25 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल
इस सभा का आरंभ तानसेन संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में श्री विनय रामदासन पुणे का गायन, सुविख्यात शास्त्रीय गायक आनंद कुमार मलिक दिल्ली का गायन, श्री अखिलेश गुंदेचा एवं साथियों द्वारा पखावज वृंद वादन, श्री भाग्येश मराठे पुणे का गायन और मूर्धन्य गायक पद्मश्री पं. उल्हास कसालकर पुणे का गायन होगा।
प्रात:कालीन सभा 26 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल
इस सभा के आरंभ में भारतीय संगीत महाविद्यालय ग्वालियर की ध्रुपद प्रस्तुति होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत नथाली रामिरेज मैक्सिको का बाँसुरी वादन, पारूल दीक्षित उपाध्याय ग्वालियर का गायन, पं. चिंतन उपाध्याय पुणे का ध्रुपद गायन, सुश्री अनुपमा भागवत बैंगलोर का सितार वादन और सुश्री पद्मिनी राव बैंगलोर का गायन होगा।
सायंकालीन सभा 26 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल
इस सभा की शुरूआत शंकर गांधर्व संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत अफगानिस्तान के जनाब सुल्तान मसूद का वायोलिन वादन, सुश्री हेमांगी नेने हैदराबाद का गायन, जनाब अमान – अयान अली बंगश दिल्ली की सरोद जुगलबंदी, पं. रघुनंदन पणशीकर पुणे का गायन एवं पद्मश्री पं. विजय घाटे पुणे के तबला वादन की प्रस्तुति होगी।
प्रात:कालीन सभा 27 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल
इस सभा की शुरूआत पारंपरिक रूप से साधना संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत मोहम्मद अलनुमा ईराक द्वारा ऊद की प्रस्तुति दी जायेगी। इसके बाद श्री अनिल दण्डौतिया मुरैना का गायन, श्री हिमांशु विश्वरूप खैरागढ़ का वायोलिन वादन, सुश्री गीतिका उमड़ेकर पुणे का गायन एवं श्री जयदीप घोष कोलकता के सरोद वादन की प्रस्तुति होगी।
प्रात:कालीन सभा 27 दिसम्बर – बटेश्वर
इस सभा में सुश्री एकता जैन मुरैना का गायन, आचार्य दिव्येश गोस्वामी इंदौर का पखावज वादन एवं पं. राजेन्द्र प्रसन्ना दिल्ली का बाँसुरी वादन होगा।
सायंकालीन सभा 27 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल
सभा की शुरूआत पारंपरिक रूप से धु्रपद केन्द्र ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत लोइक सैनलाविले फ्रांस का गिटार वादन, श्री समीर भालेराव झांसी का गायन, पद्मश्री पं. सिरकाली जी शिवा चिदम्बरम चैन्नई द्वारा कर्नाटक संगीत शैली में गायन, श्री ओंकार दादरकर कोलकाला का गायन एवं श्री लक्ष्य मोहन एवं श्री आयुष मोहन दिल्ली द्वारा सितार – सरोद जुगलबंदी प्रस्तुत की जायेगी।
प्रात:कालीन सभा 28 दिसम्बर – बेहट
सभा के प्रारंभ में ध्रुपद केन्द्र बेहट का ध्रुपद गायन होगा। इसके बाद श्री अनिकेत तारलेकर ग्वालियर का वायोलिन वादन श्री सुजल जैन ग्वालियर का गायन एवं पं. उदय कुमार मलिक दिल्ली के ध्रुपद गायन की प्रस्तुति होगी।
अंतिम संगीत सभा (सायंकाल) – 28 दिसम्बर, गूजरी महल
सभा की शुरूआत ध्रुपर केन्द्र भोपाल और सारदा नाद मंदिर ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके पश्चात विश्व संगीत के तहत सुश्री अरिशा एरियन का चेलो वादन, सुश्री दीपिका वरदराजन चैन्नई का गायन एवं सुश्री श्रुति अधिकारी व साथियों द्वारा पंचनाद की प्रस्तुति दी जायेगी।
ताल दरबार में एक साथ 1500 तबला वादक देंगे प्रस्तुति
तानसेन समारोह के तहत 25 दिसम्बर को सायंकाल लगभग 4 बजे ग्वालियर किले पर कर्ण महल के बाजू के परिसर में विशेष सभा ताल दरबार का आयोजन होगा। जिसमें 1500 तबला वादकों द्वारा समवेत अर्थात एक साथ प्रस्तुति दी जायेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी इस आयोजन में शामिल होंगे।
वादी – संवादी में होंगे इनके व्याख्यान
समारोह के अंतर्गत राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में दो दिन 26 एवं 27 दिसंबर को अपरान्ह 3 बजे से वादी संवादी कार्यक्रम के तहत आमंत्रित कलाकार प्रदर्शन सह व्याख्यान देंगे। वादी-संवादी में 26 दिसम्बर को पं. रघुनंदन पणशीकर पुणे द्वारा गान सरस्वती किशोरी अमोनकर का योगदान और जयपुर घराना – सोदाहरण व्याख्यान होगा। इसी तरह 27 दिसम्बर को श्री विनय उपाध्याय एवं डॉ. स्नेहा कामरा, श्वेताम्बरा भोपाल द्वारा राग कथा : संगीत के प्रमुख रागों के आत्मपरक विवेचन पर एकाग्र पुस्तक पर सोदाहरण व्याख्यान दिया जायेगा और इंदौर की सुश्री कल्पना झोकरकर द्वारा सप्त सूरन के भेद राग संगीत के अलग-अलग प्रकारों पर सोदाहरण व्याख्यान दिए जायेंगे।
कला प्रदर्शनी
तानसेन संगीत समारोह के दौरान समारोह स्थल पर 24 से 27 दिसम्बर तक ललित कला प्रदर्शनी भी लगेगी।