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जन्मदिन विशेष : मध्यप्रदेश की पत्रिकारिता के संत पुरुष पं श्री राजेन्द्र शर्मा

                     डॉ केशव पांडेय

ग्वालियर, मैं अकिंचन पत्रकारिता के स्टालवर्ट व दिव्य पुरुष श्रद्धेय बड़े भाई साहब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर कलम चलाने वालों की कैटेगरी में नहीं आता हूँ। लेकिन जब यह ज्ञात हुआ कि आदरणीय राजेन्द्र भाईसाहब 18 जून को अपने जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं तो मुझसे रहा भी नहीं गया । निःसन्देह उनका जीवन आज की वर्तमान पीढ़ी के नवोदित पत्रकारों के लिए किसी पाथेय से कम नहीं है। नई पीढ़ी इससे प्रेरणा ले इसी उद्देश्य से मैनें उनके जन्मदिन पर कुछ लिखने की कोशिश की है। 

 

श्रद्धेय भाई साहब प. राजेन्द्र जी शर्मा का प्रारंभिक कर्मक्षेत्र ग्वालियर ही रहा और वे ‘ दैनिक हमारी आवाज’ से जुड़कर पत्रकारिता में सक्रिय हुए। यही समाचार पत्र बाद में दैनिक स्वदेश में रूपांतरित हुआ, जिसके वे श्रेष्ठ संपादक मुकुटमणि रहे। उन्होंने प्रारम्भ से ही राष्ट्रवादी विचारधारा के लिए अपने आप को समर्पित किया और अनवरत रूप से कार्य करते आ रहे हैं।

लेकिन मैंने अपने छात्रजीवन से आज तक उन्हें एक संत प्रकृति के सच्चे पत्रकार के रूप में ही देखा। वे भले ही एक खास संघ विचारधारा के लिए समर्पित रहे लेकिन अखबार को उन्होंने राष्ट्रीय विचारधारा पर चलाने के साथ साथ अन्य विचारों को कभी दबाया नहीं, यह उनके सम्पादकत्व की एक खास विशेषता रही।

मुझे याद है कि मेरे ही परिवार के एक बड़े भाई श्री नरेन्द्र पांडे जो कि विशुद्ध रूप से कामरेड हैं, उनको भी श्री शर्मा जी ने अपने समाचार पत्र में काम करने का मौका दिया जबकि उनके ऊपर संघ का दवाब था कि आप राष्ट्रीय संघी विचारधारा के अखबार में एक कामरेड से काम क्यों ले रहे हैं? क्या आपको कोई और नहीं मिला? लेकिन श्री राजेन्द्र जी इन सबसे बढ़कर बहुत ऊंचे विचार में रहे, और श्री नरेन्द्र पांडे ने जब तक वहां काम किया एक पत्रकार के रूप में उन्होंने काम लिया ये बहुत मुश्किल काम रहा होगा।

मेरे जैसे तमाम उत्साही युवक उनके पास जब अखबार में कवरेज के लिए सलाह लेने उनके पास जाते थे तो इस विचार को उन्होंने कभी आड़े नहीं आने दिया कि अमुक आदमी हमारी विचारधारा का नहीं है, इसे स्थान क्यों दें। वे इस मामले में खुले दिल दिमाग के सुलझे हुए व्यक्ति रहे । सबके सुख दुख में शामिल होकर मदद करने भी वे सदैव अग्रणी देखे गए।

एक आम आदमी के प्रति भी उनका आदर भाव इतना रहा जितना किसी बड़े आदमी के प्रति था। वे कैलासवासी श्रीमंत राजमाता के अघोषित प्रेस अटैची की तरह थे । अम्मा महाराज उन्हें बहुत प्यार करती थीं।

श्री राजेन्द्र जी के प्रति मेरा एवं निष्पक्ष पत्रकारिता में विश्वास रखने वालों का बहुत सम्मान है। जब स्व. सुंदरलाल पटवा ने अपने स्व. पिताश्री की स्मृति सरकारी खर्चे से कुकड़ेश्वर में कार्यक्रम आयोजित किया तो वे इस पर साफ साफ लिखकर कोपभाजक भी बने। वे सत्ता में बैठे लोगों की आंख की किरकिरी बनने लगे । उन्हें अखबार की दृष्टि से काफी नुकसान भी पहुंचाया गया।

श्री राजेन्द्र शर्मा जी का व्यक्तित्व मेरे हिसाब से राज्यसभा, पद्मश्री के सर्वथा योग्य रहा लेकिन उनकी स्पष्ट वादिता लोगों को नहीं पची। जबकि राज्यसभा ऐसे व्यक्तियों के लिए ही बनाई गई है । लेकिन आज कैसे कैसे लोग राज्यसभा जा रहे हैं और कैसे जा रहे हैं इस पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता।

श्रध्देय श्री राजेन्द्र जी के 75 वर्ष पूरे होने पर मैं अपनी ओर से हार्दिक बधाइयां देता हूँ। वे शतायु हों और पूरे समाज का ऐसे ही । मार्गदर्शन करते रहें । मैं उन्हें पत्रकारिता जगत का संत मानता हूँ। ऐसे संत पुरुष विरले ही होते हैं। हम सब उनके जीवन के स्वस्थ्य सानन्द रहने की कामना करते हैं।

लेखक डॉ. केशव पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी हैं

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