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जानिए फिल्म जगत में सबसे फिट लोगों में शामिल 40 वर्षीय युवा सिध्दार्थ शुक्ला को मौत की नींद सुलाने वाले हार्ट अटैक के बारे में

हिंदी टीवी जगत मशहूर सितारे और रियलिटी शो बिग बॉस के विनर सिद्धार्थ शुक्ला का मुंबई के कूपर हास्पिटल में हार्ट अटैक से निधन हो गया. ये खबर निश्चित तौर पर सदमे में डालने वाली और झकझोरने वाली है कि कैसे इतने फिट शख्स का निधन ऐसी बीमारी से हो सकता है. वो केवल 40 के थे. रोजाना खूब जिम में अभ्यास करते थे. फिल्म जगत में सबसे फिट लोगों में उनकी गिनती होती थी.

हार्ट अटैक से मृत्यु नई बात नहीं है लेकिन कई बार ये अटैक इतना खतरनाक होता है कि पल भर में मृत्यु हो जाती है. बचने का मौका ही नहीं मिलता.  आखिर दिल का दौरा क्यों पड़ता है.

 

दिल हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है. ये एक ऐसी मांसपेशी है, जो एक पंप का काम करती है. हमारे दिल का आकार मुट्ठी के बराबर होता है. ये छाती के बाईं और दोनों फेफड़ों के बीच होता है. ये लगातार सिकुड़ता और फैलता रहता है. सिकुड़ने और फैलने की क्रिया से हमारे शरीर की रक्त वाहनियों में लगातार खून का प्रवाह होता रहता है.

कब तक हृदय सही तरीके से काम करता है
लेकिन हृदय खुद एक मांसपेशी है, लिहाजा इसे भी अपना काम करने के लिए खुद रक्त की जरूरत होती है. रक्त धमनियां, जो हृदय को रक्त देती हैं, कोरोनरी धमनियां कहलाती हैं. ये धमनियां दिल के लिए बहुत जरूरी हैं. जब तक ये हृदय को आवश्यक खून भेजती रहती हैं और इसे आक्सीजन मिलती रहती है, तब तक ये सही तरीके से काम करता रहता है.

जब हृदय तक सही तरीके से खून और आक्सीजन नहीं पहुंच पाती तो उससे दिल के काम करने पर असर होता है. ये निष्क्रिय भी हो सकता है. आमतौर पर हार्ट अटैक की स्थिति में सीने में असहनीय दर्द होने लगता है.

क्यों होता है दिल का दौरा यानि हार्ट अटैक
अब सवाल ये उठता है कि दिल का दौरा क्यों पड़ता है यानि हार्ट अटैक क्यों होता है. दिल के दौरे का अर्थ है कि रक्त की कमी के कारण किसी हिस्से का नष्ट हो जाना. इसकी कई वजहें हो सकती हैं. यदि हृदय को रक्त देने वाली धमनियों के अंदर चिकनाई जमा हो जाती हो तो उनका रास्ता कम हो जाता है, जिससे हृदय तक सही तरीके से खून नहीं पहुंच पाता. इस रुकावट से दिल में रक्त की कमी हो जाती है और दर्द होने लगता है. इसे एंजाइना पेक्टोरिस कहते हैं,  कई बार आक्सीजन में रूकावट भी ये सारी स्थितियां पैदा करती है.

यदि हृदय के अंदर रक्त का संचार रुक जाए तो वो हिस्सा निष्क्रिय हो जाता है. यदि इस हिस्से को शरीर फिर से सक्रिय नहीं कर पाता तो ऐसी स्थिति को दिल का दौरा पड़ना कहते हैं.

 ये और खतरनाक हो जाता है
धमनी में बहुत ज्यादा प्लैक जमने के बाद पीड़ित इंसान अगर दौड़ भाग वाला काम करे गंभीर नतीजा होता है. शरीर को ज्यादा ऊर्जा देने के लिए हार्ट बहुत तेजी से धड़कने लगता है. लेकिन इस दौरान संकरी धमनी में लाल रक्त कणिकाएं का जमावड़ा होने लगता है और रक्त का प्रवाह रुक जाता है.

 

बंद धमनी, हार्ट को पर्याप्त खून और ऑक्सीजन मुहैया नहीं पाती है. बस फिर हमारा हृदय ऑक्सीजन के लिए छटपटाने लगता है. धड़कन और तेज हो जाती है. सांस लेने में हरारत होने लगती है.
ऑक्सीजन के लिए छटपटाता दिल मस्तिष्क को इमरजेंसी सिग्नल भेजता है. वहीं दूसरी तरफ पसीना आने लगता है, जी मचलने लगता है. ऐसा होने पर बिना देर किये तुरंत अस्पताल जाना चाहिए.

दिल के दौरे के कई लक्षण होते हैं. दिल में दर्द महसूस होगा. बाईं भुजा में दर्द होगा. और ये दर्द काफी असहनीय तरीके से होता है.

 क्या होते हैं दिल के दौरे के लक्षण 
जब दिल का दौरा पड़ता है को कुछ खास लक्षण नजर आने लगते हैं.सबसे पहले दिल में दर्द में महसूस होता है.

    • बायीं भुजा में दर्द होता है. ये दर्द असहनीय होता है.
    • बायां हाथ सुन्न होने लगता है.
    • सांस लेने में कठिनाई होती है.
    • नब्ज तेजी से चलने लगती है.
    • व्यक्ति का तन-मन ऐसी बेचैनी महसूस करने लगता है कि मानो उसका दम घुट रहा है.

 

बहुत ज्यादा धूम्रपान और फैटी खाने से भी असर
आमतौर पर दिल बेहद स्वस्थ और मजबूत कोशिकाओं से बना होता है. लेकिन आलसी जीवनशैली, बहुत ज्यादा फैट वाला खाना खाने और बहुत ज्यादा धूम्रपान करने के अलावा आनुवांशिक कारणों से भी दिल की सेहत खराब होने लगती है.

कब चेकअप कराना चाहिए?
35 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति या जिसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, बी.पी., डायबिटीज, मोटापा या हृदय संबंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास हो, ऐसे व्यक्ति को नियमित हृदय जाँच जरूर करानी चाहिए. लक्षण दिखाई देने से पहले 2डी ईको और टी.एम.टी. जैसी जाँचें, हार्ट ब्लॉकेज का पता लगाने में मदद कर सकती है.

35 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति या जिसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, बी.पी., डायबिटीज, मोटापा या हृदय संबंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास हो, ऐसे व्यक्ति को नियमित हृदय जाँच जरूर करानी चाहिए.

यदि किसी को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान, अनियमित या तेज दिल की धड़कन आदि जैसे लक्षण हो तो उन्हे तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए.

क्या हर सीने में दर्द हार्ट अटैक का लक्षण होता है?
सभी सीने में दर्द हार्ट अटैक के संकेत नहीं होते हैं. अगर आपको छाती के बीच में या आपकी बाहों, कमर के ऊपरी हिस्से में, जबड़े, गर्दन या पेट के ऊपरी हिस्से में नये तरह का दर्द हो जो 5 मिनट से भी ज्यादा हो, साथ ही सांस लेने में तकलीफ, ठंडा पसीना, जी घबराना, थकान या चक्कर आना जैसे लक्षण हो तो यह लक्षण हार्ट अटैक के सूचक हो सकते हैं. हालांकि, अगर सीने का दर्द क्षणिक है या सुई की चुभन जैसा है तो यह अन्य कारणों से भी हो सकता है. सीने में दर्द होने पर हमेशा डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

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