रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भारत यात्रा पर हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाक़ात करेंगे. उनकी यह मुलाक़ात कई मायनों में महत्वपूर्ण और विशिष्ट मानी जा रही है.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी मुलाक़ात इस यात्रा का शीर्ष एजेंडा भी है. निश्चित तौर पर पुतिन की यह यात्रा कोई औपचारिकता नहीं है क्योंकि अगर याद किया जाए तो रूस के राष्ट्रपति बेहद कम यात्राएं ही करते हैं. इस साल में यानी साल 2021 में भारत यात्रा को अगर हटा दें तो पुतिन सिर्फ़ एक बार देश के बाहर गए हैं. भारत की यात्रा से पहले उन्होंने सिर्फ़ एक विदेश यात्रा की है, जब वह अमेरिका के अपने समकक्ष जो बाइडन से जिनेवा में मिले थे.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आख़िर भारत, रूस के लिए इतना अहम क्यों है?
दोनों देशों के बीच एक लंबे समय से स्थायी संबंध है, जिसे सिर्फ़ मैत्रीपूर्ण संबंधों के रूप में वर्णित किया जा सकता है. ख़ासतौर पर तब जब दोनों देशों के संबंधों की तुलना उनके अन्य देशों के साथ संबंधों से की जाए तो इसे सिर्फ़ दोस्ताना संबंध के तौर पर ही बताया जा सकता है.
रूस के राष्ट्रपति पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री मोदी के बीच इससे पूर्व अक्टूबर 2018 में मुलाक़ात हुई थी. उसके बाद से दुनिया की राजनीति में तमाम तरह के बदलाव हुए हैं, अंतरराष्ट्रीय उथल-पुथल हुई है और अपनी इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन विभिन्न मुद्दों पर भारत के प्रधानमंत्री का नज़रिया और रुख़ जानने की कोशिश करेंगे.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाल के सालों में कहें तो सबसे बड़ा बदलाव अफ़ग़ानिस्तान में हुआ है. जहां तालिबान की नई सरकार ने नियंत्रण हासिल किया है. रूस ने तालिबान को ‘उचित’ शासक बताया है और रूस की स्वीकार्यता से भारत के पड़ोसी पाकिस्तान की क्षेत्रीय स्थिति मज़बूत हुई है. वहीं अपने चिर प्रतिद्वंद्वी के बढ़ते प्रभाव से निश्चित तौर पर भारत चौकन्ना हो गया है
अफ़ग़ानिस्तान के उत्तर में रूस एक महत्वपूर्ण भूमिका में है. इसकी वजह उसका अफ़ग़ानिस्तान के तीन पड़ोसी मुल्कों (ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान) के साथ संबंध है. रूस ने हाल ही में इन तीनों मुल्कों के साथ अपने संबंधों की पुष्टि की है. ऐसे में रूस भारत को अपनी ओर से आश्वस्त करने की पूरी कोशिश करेगा