केंद्र सरकार ने देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता कानून लाने के लिए तैयारी शुरु कर दी है। इस कानून का केंद्रीय बिल आने वाले समय में किसी भी समय संसद में पेश किया जा सकता है। परीक्षण के तौर पर उत्तराखंड में इस कानून के बनाने की कवायद शुरू की गई है जिसमें एक कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी के लिए ड्राफ्ट निर्देश बिन्दु केंद्रीय कानून मंत्रालय ने ही दिए हैं। इससे साफ है कानून का ड्राफ्ट केंद्र सरकार के पास बना हुआ है।
सरकार के उच्चतर सूत्रों के अनुसार राज्यों में बने नागरिक संहिता के कानूनों को बाद में केंद्रीय कानूनों में समाहित कर दिया जाएगा। क्योंकि एक समानता लाने के लिए कानून का केंद्रीय होना जरूरी है। राज्यों में यह कानून को परीक्षण के तौर पर बनवाया जा रहा है। यह पहला मौका है जब सरकार ने पहली बार इस कानून के लाने के बारे में इतनी स्पष्टता से कहा है। सूत्रों ने कहा कि यह कानून अवश्य आएगा लेकिन कब और किस समय आएगा, यही सवाल है।
लगभग 20 फीसदी मुकदमे समाप्त होंगे
एक समान कानून बनने से विभिन्न कानूनों का जाल खत्म होगा और इससे देश में करीब 20 फीसदी दीवानी मुकदमे स्वतः: समाप्त हो सकते हैं। क्योंकि सभी नागरिकों पर आईपीसी की तरह से यह कानून लागू होगा।
कानून मंत्री: इस बारे में कानून मंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि समान नागरिक संहिता लाना भाजपा के मुख्य एजेंडों में से एक रहा है और इसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। इस बारे में तैयारी चल रही है, यह कानून जरूर लाया जाएगा।
क्या है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता से देश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, विवाह की उम्र, तलाक, पोषणभत्ता, उत्तराधिकार, सह-अभिभावकत्व, बच्चों की कस्टडी, विरासत, परिवारिक संपत्ति का बंटवारा, वसीयत, चैरिटी-दान आदि पर एक समान कानून हो जाएगा चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय या मत से हों।