आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा जातिवाद को लेकर दिए गए बयान पर अब आरएसएस का स्पष्टीकरण सामने आया है। देश में एक ही धर्म और जाति की भागवत की बात पर आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने कहा कि वे विद्वान के लिए पंडित शब्द का उपयोग कर रहे थे। बता दें कि आरएसएस प्रमुख ने बीते दिन कहा था कि भारत में पंडितों ने ही जाति का विभाजन किया है, नहीं तो सब एक ही जाति के थे।
#WATCH | "He(Mohan Bhagwat)was at the Sant Ravidas Jayanti event. He mentioned 'Pandit', meaning 'Vidvaan' (scholars)…Some Pandits speak of caste-based divides on basis of Shaastras,it's a lie. It's his exact statement..,"RSS leader Sunil Ambekar clarifies RSS chief's statement pic.twitter.com/Qak98GkT02
— ANI (@ANI) February 6, 2023
मोहन भागवत द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान पर अब RSS ने स्पष्टीकरण दिया है। दरअसल, भागवत ने मुंबई के एक कार्यक्रम में कहा था कि सत्य ही ईश्वर है। सत्य कहता है कि मैं सर्वभूति हूं, रूप कुछ भी रहे योग्यता एक है, ऊंच-नीच नहीं है, शास्त्रों के आधार पर कुछ पंडित जो बताते हैं, वो झूठ है। जाति की श्रेष्ठता की कल्पना में ऊंच-नीच में अटक कर हम गुमराह हो गए, भ्रम दूर करना है।
बयान में कहे ‘पंडित’ शब्द को लेकर लोग विरोध जता रहे थे। इस पर संघ नेता सुनील आंबेडकर ने स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत संत रविदास जयंती कार्यक्रम में थे। उन्होंने ‘पंडित’ का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है ‘विद्वान’। सत्य यह है कि मैं सब प्राणियों में हूं, इसलिए रूप नाम कुछ भी हो, लेकिन योग्यता एक है। मान सम्मान एक है। सबके बारे में अपनापन हैं। कोई भी ऊंचा-नीचा नहीं है। शास्त्रों का आधार लेकर कुछ विद्वान लोग, जो जातिआधारीत ऊंच-नीच की बात कहते हैं, वह झूठ है।
उन्होंने कहा था कि संत रविदास ने कहा कर्म करो, धर्म के अनुसार कर्म करो। पूरे समाज को जोड़ो, समाज में उन्नति के लिए काम करना यही धर्म है। सिर्फ अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है और यही वजह है कि समाज के बड़े-बड़े लोग संत रविदास के भक्त बनें।
भागवत ने कहा था कि लोग चाहे किसी भी तरह का काम करें, उसका सम्मान होना चाहिए। श्रम के लिए सम्मान की कमी बेरोजगारी के कारणों में से एक है। कार्य के लिए चाहे शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो या बुद्धि की, चाहे उसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो या सॉफ्ट स्किल्स की- सभी का सम्मान किया जाना चाहिए।