सम्पादकीय

मध्यप्रदेश के ग्वालियर और मुरैना जिलों में बढ़ते कोरोना संक्रमण ने स्थानीय जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी है पिछले तीन दिन से यहां लॉक डाउन लगा दिया गया है। लेकिन इस सबके बीच सोशल मीडिया व समाचार जगत के माध्यम से कुछ तस्वीरें ऐसी सामने आ रही हैं जो चौकानें वाली हैं । ये तस्वीरें साफ तौर पर यह प्रदर्शित कर रही हैं की कुछ लोगों को न कानून का डर है न जनता की परवाह उन्हे चिंता है तो सिर्फ अपनी नेतागिरी की । बेबस जिला प्रशासन द्वारा इन्हें रोकने की बात तो छोड़िए उसमें इतनी हिम्मत तक नहीं की इनकी तरफ सिर उठाकर भी देख सके। पिछले तीन चार दिन पर ही नजर दौड़ाई जाए तो लगातार कोरोना मरीजों का आंकड़ा प्रतिदिन 50 से ऊपर जा रहा है। इसी के चलते ग्वालियर जिला प्रशासन ने शनिवार से टोटल लॉक डाउन कर रखा है। इसी सिलसिले में कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने 5 जुलाई को ही एक आदेश जारी किया की ग्वालियर में जो भी व्यक्ति बिना मास्क लगाए व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते पाया गया तो उसपर जुर्माने के साथ तीन दिन तक किल कोरोना अभियान में बतौर सजा उसे कार्य करना होगा। यह आदेश धारा 144 के अंतर्गत कलेक्टर ने दोपहर इंसीडेंट कमांडरों की बैठक में दिया।
अब मजाक देखिये शाम को ही प्रदेश सरकार के एक मंत्री शहर में आते हैं। इन मंत्री महोदय के लिए यह प्रसिद्ध है की वे कभी मास्क नहीं लगाते। इसी तर्ज पर वे ग्वालियर में पुरानी छावनी व पाटनकर बाजार स्थित दो नेताओं के यहां जाते हैं भीड़ भाड़ के साथ न तो सोशल डिस्टेंसिंग और न ही चेहरे पर मास्क ,लोकल एडमिस्ट्रेशन मंत्री जी के प्रोटोकॉल में जुटा दिखाई देता है। जनसम्पर्क विभाग के कैमरामैन फोटो खींचते दिखते हैं। बाकायदा PRO द्वारा इन्हें जारी किया जाता है। धरा का धरा रह गया कलेक्टर का मास्क लगाने व सोशल डिस्टेंसिंग न बरतने पर जुर्माना लगाने वाला आदेश।

यही स्थिति कांग्रेस कार्यालय में दिखाई दी महाराष्ट्र सरकार के पशुपालन मंत्री जो की ग्वालियर सम्भाग में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी भी हैं बैठक लेते हैं कांग्रेस कार्यालय में भारी भीड़ के बीच खुलेआम मंत्री जी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते रहते हैं । कोई कार्यवाही या रोकटोक की किसी में हिम्मत नहीं। सबको पता है महाराष्ट्र इस समय देश में कोरोना का सबसे बड़ा हॉट स्टेट बना हुआ है। वहां से कोई व्यक्ति ग्वालियर आता है तो उसे क्या नियमानुसार क्वेरीटीन नही किया जाना चाहिए ? प्रशासन के पास ऐसा करने की हिम्मत नहीं है कोरोना फैलता है तो फैल जाए जनता मरती है तो मर जाये नेताजी का जलवा कायम रहना जरूरी है।
आज सुबह की ही बात लीजिए देश के लिए अपना बलिदान करने वाले महामानव डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिन पर राजनीतिक दल ने फूलबाग स्थित उनके प्रतिमा स्थल पर नमन व पुष्पांजलि का कार्यक्रम रखा। यहां कई जनप्रतिनिधियों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उनमें बिना मास्क के सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना साफ दिखाई दे रही है। सबसे बड़ा सवाल जब महामारी फैली हुई है लोगों की जान पर बनी है इस तरह से कार्यक्रम करना कहां तक उचित है ?
बात यहीं समाप्त नहीं होती चुनाव के लिए पूरे अंचल में नेताओं का जनसम्पर्क शुरू हो चुका है। एक कांग्रेसी विधायक तो प्रतिदिन भीड़ के बीच खड़े होकर बिना मास्क लगाए बैठकें ले रहे हैं सोशल मीडिया पर फोटो डाली जा रही है। प्रशासन में हिम्मत है इनपर जुर्माना लगाने या बतौर सजा किल कोरोना अभियान में इनसे तीन दिन काम कराने की।
यह तस्वीरें बेहद गम्भीर हैं साथ ही चिंतनीय भी हमारे राजनीतिक दलों के नीतिनिर्धारकों को इस ओर गम्भीरता से विचार करना चाहिए चूंकि चुनाव नजदीक हैं अतः उन्हें कोरोना संकटकाल को दृष्टिगत रखते हुए अपने नेताओं को सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं करने के आदेश जारी करना चाहिए इसी में जनता की भलाई है।