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रेलवे हॉकी स्टेडियम बदहाली : धन्यवाद हमारे नेताजी को वे जब जागें तभी सवेरा

प्रवीण दुबे

“देर आए दुरुस्त आए ”  लगता है अब ग्वालियर के रेलवे हॉकी स्टेडियम के दिन बहुरने वाले हैं मोदी सरकार में नए नवेले मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रेलवे हॉकी स्टेडियम में दुर्दशा का शिकार हो चुके एस्ट्रोटर्फ  को ठीक कराने के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा तो चंद घण्टे बाद ही रेलमंत्री ने यह कार्य शुरू किए

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा रेलवे हॉकी स्टेडियम की दुर्दशा सुधारने के बारे में रेलमंत्री से किया गया आग्रह व रेलमंत्री द्वारा दिया जवाब

जाने सम्बन्धी जवाब श्री सिंधिया को प्रेषित किया है। यहां आपको बताना उपयुक्त होगा की 11 दिसम्बर को शब्दशक्तिन्यूस द्वारा  “रेलवे के नाकारापन का बड़ा प्रमाण अंतर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम बना तालाब एस्ट्रोटर्फ हुआ चीथड़े चीथड़े” शीर्षक से खबर प्रकाशित करके इस स्टेडियम की दुर्दशा को उजागर किया था। जिसकी की लिंक हम यहां दे रहे हैं। https://shabdshaktinews.in/?p=21472

शब्दशक्तिन्यूस द्वारा 20 दिसम्बर को प्रकाशित खबर का स्क्रीन शॉट 
लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि शब्दशक्तिन्यूस की इस खबर को उस समय न तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संज्ञान में लिया और न ही ग्वालियर के अन्य किसी सांसद विधायक ने। लेकिन यह खुशी की बात है कि केंद्रीय मंत्री बनने के बाद ही सही ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस अंतराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम की दुर्दशा की याद तो आई । वैसे इस स्टेडियम से ज्योतिरादित्य सिंधिया का भावात्मक जुड़ाव भी
रहा है वह इसलिए क्यों कि उनके पिता स्व माधवराव सिंधिया जब केंद्र में रेल राज्यमंत्री थे तब उनके ही प्रयासों से न केवल रेलवे हॉकी स्टेडियम का निर्माण हुआ था बल्कि यहां एस्ट्रोटर्फ भी बिछाया गया था । गौरतलब है कि उस जमाने में भारत के केवल दो अंतराष्ट्रीय स्टेडियम ही ऐसे थे जहां एस्ट्रोटर्फ बिछा था चूंकि इसे विदेशों से आयात किया जाता था और इसकी कीमत करोड़ों में होने की वजह से इसे लगाना भारत जैसे देश के लिए बेहद कठिन काम था। लेकिन माधवराव सिंधिया का खेलों के प्रति जबरदस्त लगाव होने के कारण वे ग्वालियर जैसे छोटे शहर में हॉकी का सर्व सुविधायुक्त हॉकी स्टेडियम स्थापित करने में कामयाब रहे । उनके हाथों ही 6 फरवरी 1987 को इसका लोकार्पण ग्वालियर को किया गया। श्री सिंधिया के प्रयासों से ही यहां कई विदेशी टीमों के हॉकी मुकाबले हुए। इतना ही नहीं अशोक कुमार ,शिवाजी पवार जैसे धुरंधर हॉकी खिलाड़ी यहां रहकर प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ अपनी विशेषज्ञता  का लाभ यहां प्रदान  करते रहे।
दुर्भाग्य से समय बदला स्व माधवराव दुर्घटना का शिकार हो गए और इस अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम के दुर्दिन भी शुरू हो गए। यह बदहाल होता चला गया एकबार केंद्रीय मंत्री तोमर के प्रयासों से इसका जीर्णोद्धार भी हुआ लेकिन तमाम कारणों जिसकी चर्चा फिर कभी करेंगे यह स्टेडियम बदहाल होता गया । हां इतना जरूर कहना चाहूंगा कि इस स्टेडियम में यदि
इसका पुराना गौरव वापस लाना है साथ ही नए लगने जा रहे एस्ट्रोटर्फ को लंबे समय तक सुरक्षित रखना है तो पहले उन कमियों को भी दूर करना बेहद आवश्यक है जिनके चलते यहां का एस्ट्रोटर्फ और सम्पूर्ण स्टेडियम इस दुर्दशा का शिकार हुआ ,खैर खेलों के लिए यह बेहद शुभ और अच्छी खबर है कि ग्वालियर का रेलवे हॉकी स्टेडियम पुनः सजने संवरने जा रहा है और इसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया बधाई के पात्र हैं।
dubeypraveen8152@ gmail.com
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