दुनिया में इस वक्त एक ‘अदृश्य उल्कापिंड’ की चर्चा जोरों पर है. कहा जा रहा है ये किसी भी पल हमारी धरती से टकरा सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये उल्कापिंड हिरोशिमा में तबाही मचाने वाले ‘लिटिल बॉय’ बम जितना बड़ा है. चिंता का विषय ये है कि वैज्ञानिकों को भी अंदाजा नहीं है कि ऐसे कितने अदृश्य उल्कापिंड धरती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये उल्कापिंड सूरज की तेज चमक में दिखाई नहीं देते।हमेशा छिपे रहते हैं और कभी भी पृथ्वी से टकरा सकते हैं.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जापान के हिरोशिमा में गिरे बम ‘लिटिल बॉय’ के आकार के कई उल्कापिंड हमारी पृथ्वी से किसी भी समय टकरा सकते हैं. बता दें कि ‘लिटिल बॉय’ 28 इंच डायममीटर के साथ 4400 किलो वजनी बम था. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर ऐसे ही कई उल्कापिंड धरती से टकराएंगे, तो उसका क्या असर होगा. फिलहाल, वैज्ञानिकों को भी अंदाजा नहीं है कि इनकी संख्या कितनी है. चूंकि, ये उल्कापिंड सूरज की रोशनी में दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए इन एस्टेरॉयड्स को ‘अदृश्य’ नाम दिया गया है.
डेलीस्टार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में रूसी हवाई क्षेत्र में चेल्याबिंस्क नाम का एक उल्कापिंड आ गया था. इसके गिरने से तब 1600 लोग जख्मी हुए थे. हालांकि, ये लोग उल्कापिंड के सीधे संपर्क में आने से घायल नहीं हुए थे. उल्कापिंड के प्रभाव से तब अधिकांश घरों की खिड़कियों के शीशे टूट गए थे, जिससे लोग घायल हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक, ये उल्कापिंड हिरोशिमा पर गिरे बम से 35 गुना बड़ा था. वैज्ञानिकों का कहना था कि सूरज की चमक में छिपने की वजह से इस उल्कापिंड के बारे में उन्हें पता नहीं चल पाया.
वैज्ञानिकों ने अब फिर से ऐसी घटना घटने को लेकर अलर्ट किया है. तब एक उल्कापिंड गिरने से 1600 लोग घायल हुए थे. अब इन उल्कापिंडों की संख्या कितनी है, इसका अंदाजा वैज्ञानिकों को भी नहीं है. ऐसे में वैज्ञानिक अलर्ट मोड पर हैं. रूस में हुई घटना से सबक लेकर वैज्ञानिक अब नियर अर्थ ऑब्जेक्शन मिशन नाम से एक सिस्टम बना रहे हैं. ये उल्कापिंड के धरती से टकराने की जानकारी पहले ही दे देगा, जिससे कुछ समय पहले लोगों को अलर्ट किया जा सकेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, नियोमिर नाम के इस सिस्टम के दशक के अंत तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है.