सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर अपनी बात कहने वाला संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या कुछ जरूरी राष्ट्रीय व जनभावना वाले विषयों को लेकर मोदी सरकार की नीतियों से नाराज है,पिछले 24 घण्टों में संघ के दो सबसे शीर्ष पदों पर विराजित नेताओं सरसंघचालक श्री मोहंभागवत व सरकार्यवाह भईया जी जोशी ने सार्वजनिक रूप से राममंदिर निर्माण व लगातार शहीद हो रहे सैनिकों को लेकर जो बात कही है देश के मीडिया में इसको लेकर कुछ इसी प्रकार का विश्लेषण किया जा रहा है।
कुंभ मेले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने जहां राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसा है, वहीं सरसंघचालक मोहन भागवत ने मौजूदा वक्त में सेना के जवानों की हो रही शहादत को लेकर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा है कि जब किसी के साथ युद्ध नहीं हो रहा है, तो फिर बॉर्डर पर सैनिक शहीद कैसे हो रहे हैं. ये सवाल उठाते हुए आरएसएस प्रमुख ने इसका कारण भी बताया और कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं.
मोहन भागवत ने यह बयान गुरुवार को नागपुर में प्रहार समाज जागृति संस्था के रजत जयंती कार्यक्रम के अवसर पर दिया है. जवानों की शहादत पर बात रखते हुए मोहन भागवत ने आजादी के वक्त का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब देश को अंग्रेजों से आजादी नहीं मिली थी तो उस दौरान वतन की स्वतंत्रता के लिए जान कुर्बान का दौर था. या फिर आजादी के बाद अगर कोई युद्ध हुआ या होता है तो वहां भी सीमा पर दुश्मनों से लड़ते हुए सैनिक अपनी जान की बाजी लगाते हैं और देश की सुरक्षा के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर देते हैं. इससे आगे मोहन भागवत ने मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए जवानों की शहादत पर सवालिया निशान लगा दिया.
युद्ध के अलावा शहादत का कोई कारण नहीं
आरएसएस प्रमुख ने अपने बयान में कहा कि युद्ध के दौरान सैनिकों की शहादत होती है, लेकिन अगर जब इस वक्त हमारे देश में कोई युद्ध नहीं हो रहा है और फिर भी सेना के जवान शहीद हो रहे हैं तो इसका मतलब ये है कि हम अपना काम सही ढंग से नहीं कर रहे हैं. आगे उन्होंने कहा, ‘अगर कोई युद्ध नहीं है तो कोई कारण नहीं है कि कोई सैनिक सीमा पर अपनी जान गंवाए. लेकिन ऐसा हो रहा है.’
भागवत ने कहा- रोकी जाए सैनिकों की शहाद
मोहन भागवत का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. खासतौर पर जम्मू कश्मीर के संदर्भ में, जहां मोदी सरकार आतंक के सफाये को प्रमुखता से उठाती रही है और अपनी पीठ ठपठपाती रही है, ऐसे में सीमा पर जवानों की शहादत क्यों हो रही है की बहस को जन्म देकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सरकार के दावों पर विपक्ष को चोट करने का मौका जरूर दे दिया है.
बता दें आरटीआई के जरिए गृहमंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार के शुरुआती तीन सालों के दैरान यानी मई, 2014 से मई, 2017 तक सिर्फ जम्मू कश्मीर में 812 आतंकवादी घटनाएं हुईं. इन घटनाओं में 62 नागरिक मारे गए, जबकि 183 जवानों की शहादत हुई. ऐसे ही आंकड़े सामने रख विपक्षी दल मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. हालांकि, सरकार अपने बचाव में घाटी से आतंकियों के बड़े पैमाने पर सफाए का हवाला देती रही है.