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लो खुल गयी दीन बचाओ रैली की पोल सिर्फ 40 लाख के खर्चे में जमा हो गये लाखों मुसलमान

सिर्फ 40 लाख के खर्चे में जमा हो गये लाखों मुसलमान और बड़े बड़े उलेमा व् मौलाना भी. खुद्दारी पर उठे सवाल, क्या इतना सस्ता कुछ का ईमान ?

जिस रैली को अभी कुछ दिन पहले मुसलमानों के बड़े जमावड़े और एकता का प्रतीक बना कर दिखाया जा रहा था उसी रैली की पोल अब खुलना शुरू हो गई है और इसमें सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इसका विरोध अब खुद ही कुछ मुसलमान करना शुरू कर चुके हैं जिनके अनुसार ये रैली उनको धोखा देने के लिए नितीश कुमार ने करवाई जिसके लिए विधिवत और बाकायदा 40 लाख रुपये सरकारी तौर पर खर्च किये गये हैं . ज्ञात हो कि बिहार के मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन इमारत ए शरिया ने पिछले दिनों जिस ‘दीन बचाओ देश बचाओ’ कार्यक्रम का आयोजन किया था उस पर उठने लगे हैं सवाल . मीडिया के ख़ास वर्ग द्वारा जिस रैली का विधिवत प्रचार किया गया था और उसके माध्यम से ही पटना के गांधी मैदान में लाखों मुसलमान जुटाए गये थे अब उसका निकलने लगा है राजनैतिक स्वरूप जबकि उस समय बार बार वहां के मौलानाओ ने कहा था कि इस रैली का कोई भी सियासी मायने नही है .

मुसलमानों के लिए सबसे बड़े झटके की बात ये है कि इस रैली में सैकड़ो वो मुसलमानो के मजहबी उलेमा और मौलाना जमा हुए थे जिन पर वो आँख बंद कर के विश्वास किया करते थे .इन सब ने उस रैली में सांप्रदायिकता के नाम पर जमकर पीएम नरेंद्र मोदी को कोसा और मुसलमानों की समस्या के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था। अब पता चल रहा है कि वो सब कुछ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश सरकार द्वारा प्रायोजित था जिसके लिए 40 लाख रुपये आवंटित किए थे। एक समाचार चैनल का दावा है कि नितीश सरकार द्वारा जारी इस पत्र में बिहार सरकार के अवर सचिव राधा नंदन प्रसाद ने 40 लाख रुपये आवंटित किए थे। ये सारा धन पटना के DM को दिए गए थे। इस पैसे का खर्च ‘दीन बचाओ देश बचाओ’ रैली में आने वाले लोगों की भीड़ प्रबंधन, विधि व्यवस्था और सुविधाओं के लिए आवंटित किया गया। इस बात पर शक तब गहराया जब कार्यक्रम के मंच से बीजेपी को जहां कोसा गया वहीं जेडीयू की तारीफ की गई।

ख़ास ये भी रहा कि कार्यक्रम के लिए नीतीश कुमार की ओर से सहयोग दिए जाने का शुक्रिया अदा किया गया। इतना ही नहीं इस बात पर तब मुहर लग गई जब कार्यक्रम का तंबू भी नहीं उखड़ा था कि ‘दीन बचाओ देश बचाओ’ के कन्वेनर खालिद अनवर को नीतीश कुमार ने एमएलसी के तोहफे से नवाज दिया।जेडीयू नेताओं ने रैली के लिए जगह-जगह होर्डिंग और पोस्टर भी लगाए थे, जिसके तहत मुसलमानों से लाखों की तादाद में गांधी मैदान में पहुंचने की अपील की गई थी। रैली के पीछे जेडीयू के होने की उस समय हकीकत साबित हुई जब कार्यक्रम के बाद ही नीतीश कुमार ने दीन बचाओ देश बचाओ के कन्वेनर खालिद अनवर को एमएलसी बनाने की घोषणा कर दी। अब इस खुलासे के बाद बिहार के मुसलमान दो फाड़ होना शुरू हो गये हैं . रैली में शामिल लाखों मुसलमान एक तरफ और रैली के विरोधी मुस्लमान एक तरफ .
मुसलमानों के लिए सबसे बड़े सरदर्द का विषय ये है कि उनके अगुवा माने जाने वाले बिहार के सभी मुस्लिम चेहरे उस मंच पर खड़े थे. अब इसके बाद बिहार राज्य में कई जिलों में मौलाना वली रहमानी सहित कार्यक्रम से जुड़े हुए लोगों के खिलाफ मुसलमानों ने सौदेबाजी का इल्जाम लगाते हुए अपने ही मजहबी उलेमाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इमारत ए शरिया के अध्यक्ष अनीसुर रहमान कासमी का एक वीडियो भी सामने आया है। इसके तहत कासमी साफ तौर पर कहते दिख रहे हैं कि इस कार्यक्रम का मकसद ही राजनीतिक था। सवाल ये भी उठता है कि अटल ईमान का दावा करने वाले कुछ लोगों के ईमान क्या इतने सस्ते थे जो मात्र 40 लाख में सवालों के घेरे में आ गये .
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