प्रवीण दुबे
एक ओर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिन 25 दिसंबर पर पूरा ग्वालियर उत्साहित नजर आ रहा है तो दूसरी ओर जिस कमलसिंह के बाग में अटल जी का पैतृक निवास है उस गली को सजाने संवारने के लिए न तो ग्वालियर जिला प्रशासन के पास समय है न
अटलजी के निवास पर संचालित वाचनालय और उनके जन्मदिवस पर ऊबड़ खाबड़ सड़क को छुपाने के लिए लगाए गए कोलतार के थींगरे (फोटो रवि उपाध्याय)
ग्वालियर नगर निगम को इसकी सुध है आश्चर्य की बात तो यह है कि अटल जी ने जिस भारतीय जनता पार्टी के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था उस राजनीतिक दल को भी इस बात की चिंता नहीं है कि अटलजी के पैतृक निवास को जाने वाली गली को ठीक प्रकार दुरस्त रखा जाए । यही कारण है कि उनके जन्मदिन से एक दिन पहले ऊबड़ खाबड़ रास्ते की बदहाल स्थिति को छुपाने के लिए गड्ढों पर कोलतार डालकर इतिश्री कर ली गई। अटल जी के निवास तक पहुंचाने वाले रास्ते की इस बदहाल हालत को देख उनके पैतृक निवास में रह रही उनकी भतीजी कांति मिश्रा बेहद दुखी हैं उनका कहना है कि प्रशासन से लेकर नगरनिगम तक और पार्षद से लेकर भाजपा तक किसी ने भी कभी भी इसकी चिंता नहीं की। यहां तक कि इस स्थान पर संचालित वाचनालय में पूरे देश से आने वाले लोग परेशान होते दिखाई देते हैं। अटल जी के पैतृक निवास की इस गली को आज भले ही ग्वालियर प्रशासन सहित सत्ताधारी भाजपा ने महत्वहीन समझ लिया हो लेकिन अटल जी के चाहने वालों के लिए यह स्थान कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा अटलजी के मित्र और ग्वालियर के वयोवृद्ध वरिष्ठ साहित्यकार शैवाल स्त्यार्थी द्वारा लिखी कविता की इन पंक्तियों से लगाया जा सकता है।
“अटलजी की गली”
पैतृक निवास कमल सिंह का बाग
“गली नहीं यह सामान्य ……..
साक्षात् स्वर्ग का राजपथ है यह
: प्यारे भैया भारतरत्न अटलजी का — स्वर्णिम निवास है यह !”
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