त्वरित टिप्पणी:प्रवीण दुबे
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, की परिकल्पना रखने वाली सनातन संस्कृति एक बार फिर सबके कल्याण के लिए चांद पर इतिहास रचने जा रही है। भले ही विश्व के नक्शे के अनुसार इसे केवल भारत की उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है और इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता लेकिन भारत की यह परंपरा रही है कि उसने जो भी किया उसके पीछे केवल भारत ही नहीं वरन् पूरी मानव जाति के उत्थान की कल्पना निहित है। इस बात के एक नहीं अनेक उदाहरण विद्यमान हैं। इसी लिए कहा गया
“जब जीरो दिया मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आई
देता न दशमलव भारत तो यूं चांद पर जाना मुश्किल था
धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था”
आर्यभट्ट से लेकर अब्दुल कलाम तक भारत ने हमेशा दुनिया को चमत्कृत कर देने वाली वैज्ञानिक उपलब्धियां हासिल की। इन उपलब्धियों का इस्तेमाल करके दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने तमाम अनुसंधान किए।
भारत की इसी योग्यता और उपलब्धियों को देखकर एक समय मुगल आक्रांताओं से लेकर अंग्रेजो तक ने भारत के तमाम पुरातन विश्वविद्यालयों के अनुसंधान केंद्रों को निशाना बनाकर उन्हें तहस नहस करने का अभियान चलाया।
भारत के सबसे प्रमुख शैक्षणिक अनुसंधान केंद्र तक्षशिला, नालंदा आदि में रखे प्रमुख अनुसंधान ग्रंथों को जलाया बर्बाद किया। जब अंग्रेज भारत आए तो हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों की नकल करके अपने नाम का महिमामण्डन किया गया। तमाम भारतीय वैज्ञानिकों की खोजों को नजर अंदाज करके उन्हे हतोत्साहित करने का षडयंत्र चलाया और इतिहास को तोड़ा मरोड़ा गया।
इतना होने के बावजूद न तो भारत रुका और न भारत ने दुनिया के कल्याण की अपनी संस्कृति को छोड़ा। हाल ही में कोरोना काल के समय जब पूरी दुनिया महामारी के दंश से बेहाल थी भारत के वैज्ञानिकों ने वैक्सीन का आविष्कार करके सबके प्राणों की रक्षा की। दुनिया भर के तमाम गरीब देशों को यह वैक्सीन भारत ने मुफ्त देकर सबके कल्याण का संदेश चरितार्थ किया था।
जहां तक भारत के अंतरिक्ष मिशन का सवाल है इसके पीछे भी भारत की तमाम उपलब्धियां जुड़ गई हैं । कभी साइकिल से राकेट ले जाने वाले इसरो वैज्ञानिकों ने अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर भारत को तीन बड़े विकसित देशों की कतार में लाकर खड़ा कर दिया है।
भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की योग्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत दुनियाभर के अन्य देशों के चार सौ से अधिक सेटेलाइट अंतरिक्ष में ले जा चुका है।
अब भारत का मून मिशन भी सफलता के झंडे गाड़ने से चंद मिनट दूर है। भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान भेजने वाला पहला देश बनने वाला है,पूरी दुनिया को बेसब्री से इसका इंतजार है,अमेरिका जैसा देश भी इस मिशन में भारत के साथ आकर खड़ा हो गया है ऐसा इसलिए क्यों कि वह जानता है भारत की यह उपलब्धि पूरी मानव बिरादरी के कल्याण की भावना को समर्पित है और यही भारत की संस्कृति भी है। तो आइए इस मून मिशन की सफलता के लिए भगवान से प्रार्थना करें।
Praveen dubey@shabd shakti news.in